12.9 C
New York
May 14, 2024
BBC LIVE
राज्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति पर राहुल की टिप्पणी से बिफरे सांसद चुन्नीलाल

0 सत्ता के लिए ओबीसी परिवारों ने कभी दूसरे के उपनाम को स्वीकार नहीं किया, यहां तो टिप्पणीकार परिवार के लोग सत्ता स्वार्थपूर्ति के लिए गांधी सरनेम का उपयोग करते आए हैं

गरियाबंद।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी से महासमुंद के भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू बिफर गए हैं, उन्होंने कहा- राहुल गांधी पहले अपने गिरेबान में झांक लें, फिर किसी पर टिप्पणी करे। जब जाति और उसे मिलने वाले आरक्षण की जानकारी नहीं है, तो चुप रहना चाहिए। भारत सरकार ने अधिकांश जाति और उनके उपनामों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल कर उन जातियों के आर्थिक, सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए आरक्षण प्रदान किया है, यह कहना बिलकुल गलत है कि ओबीसी समाज ने कभी भी सियासी सत्ता सुख के लिए आरक्षण लाभ का इस्तेमाल किया हो। पिछड़ों के किसी भी जाति को अभी तक सत्ता के लिए आरक्षण नहीं मिला है।

आरक्षण के लिए भारत सरकार ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उस मापदंड की कंडिकाओं में तेली और दूसरी पिछड़ी जाति के लोगों का रहन-सहन शामिल है, इसलिए उन्हें ओबीसी में शामिल किया गया है। साहू का कहना है कि स्वार्थपूर्ति के लिए जो लोग खान से गांधी बन जाते हैं, ऐसे परिवार के लोगों को किसी की जाति या धर्म पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं बनता। ओबीसी समाज के परिवारों में विवाह के बाद बेटियां अपने पति का सरनेम ही प्रयोग में लातीं हैं, न कि मायके का। ओबीसी आरक्षण पर विस्तार से चर्चा करते हुए सांसद चुन्नीलाल साहू ने बताया कि स्वतंत्र भारत में पिछड़े वर्ग की पहचान के लिए 1954 में काका कालेलकर अायोग का गठन किया, जिसकी अनुशंसा कभी लागू नहीं हुई। वर्ष 1979 में जनता पार्टी की सरकार में मंडल आयोग बना, तब ओबीसी जातियों को राष्ट्रीय स्तर पर सूचीबद्ध किया गया, लेकिन 1991 तक मंडल आयोग की अनुशंसा को लागू करने की दिशा में कांग्रेस ने रुचि ही नहीं दिखाई, सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति करने के लिए इसे लालीपॉप ही बनाकर रखा। श्री साहू ने बताया कि 1983 में मध्यप्रदेश सरकार ने रामजी महाजन की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया। 1984 के पहले तेली समेत अधिकांश जातियों को पिछड़े वर्ग की सुविधाएं सरकारी तौर पर नहीं मिलती थीं। क्रीमीलेयर के फेर में अधिकांश पिछड़े परिवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिला, अब कोई यह कहे कि 1984 के पहले तेली परिवार ओबीसी में नहीं थे, तो यह मूर्खतापूर्ण होगा, क्योंकि तब ओबीसी था ही नहीं तो आरक्षण कैसे मिलता।

उन्होंने यह भी बताया कि तेली समेत कुछ और पिछड़ी जातियों को मंडल आयोग की सिफारिश पर आेबीसी में शामिल किया गया, लेकिन उनके उपनामों को सूची में शामिल नहीं कर पाए थे। कुछ जातियों के उपनामों के साथ साहू भी बाद में सूचीबद्ध हुआ। इसी तरह गुजरात में मोढ़ घांची उपनाम वाले भी साहू की तरह सूचीबद्ध होने से छूट गए थे, 1991 में वीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर अनेक जातियों और उनके उपनाम को सूचीबद्ध किया। साहू उपनाम को अविभाजित मध्यप्रदेश (1997) और माेढ़ घांची उपनाम को गुजरात सरकार ने 1998 में केंद्र सरकार के राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद ओबीसी सूची में शामिल किया।
सांसद साहू का कहना है कि गुजरात के माेढ़ घांची को राज्य आयोग ने सन् 1995 में ही शामिल किया था और केंद्र ने उसे 1998 में स्वीकार किया, तब माेढ़ घांची तेली जाति के नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री या भारत के प्रधानमंत्री नहीं थे। उस समय मोदी जी भारतीय जनता पार्टी के संगठन दायित्व में काम कर रहे थे। भाजपा सांसद साहू का कहना है कि सत्ता के लिए सरनेम बदलने वाले लोग किसी की जाति पर टिप्पणी करने से बाज आएं।

Related posts

अवैध महुआ कच्ची शराब बनाकर बेचने वाले तीन आरोपियों के विरुद्ध थाना रूद्री पुलिस ने किया वैधानिक कार्यवाही

bbc_live

ब्रेकिंग : डीएसपी को किया गया लाइन अटैच, इस वजह से हुई बड़ी कार्रवाई, लगे ये गंभीर आरोप…जाने पूरा मामला

bbc_live

CG News : बस में बैठे-बैठे ही लड़के की कट गई गर्दन, तो कटे किसी के हाथ…आखिर क्या हुआ ऐसा, जाने पूरा मामला

bbc_live

Leave a Comment

error: Content is protected !!