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October 5, 2024
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आखिर कैरियर का सवाल है: बृजमोहन के सामने उतरने से डरे विकास उपाध्याय! लोकसभा चुनाव का टिकट लौटाने दिल्ली पहुंचे

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सबसे दिग्गज नेताओं में गिने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल की लोकप्रियता किसी को बताने की जरूरत नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक मार्जिन से जीतने वाले नेता बृजमोहन अग्रवाल ही है। खबर है कि इस लोकसभा चुनाव में 8 बार के विधायक के सामने कोई कांग्रेस प्रत्याशी लड़ने को तैयार नहीं हो रहा है।

इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के पूर्व कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय का नाम भी जुड़ गया है। वे बृजमोहन अग्रवाल के सामने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। पार्टी ने उन्हें रायपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है। हालांकि, जितनी रफ्तार से पीएम मोदी राज्य की महिलाओं के खाते में महतारी वंदन योजना के तहत 1000 रुपए ट्रांसफर करने वाले है उससे दोगुनी रफ्तार से विकास ये टिकट लौटाने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। पार्टी हाईकमान से मिलकर अपनी जगह वे किसी और को टिकट देने की विनती कह रहे हैं। विकास सचिन पायलट, केसी वेणुगोपाल जैसे बड़े नेताओं से मिलकर इस कोशिश में हैं कि उनका टिकट बस किसी तरह से रद्द कर दिया जाए। पार्टी सूत्रों के मुताबिक विकास 11 मार्च को होने वाली CEC की बैठक से पहले अपना टिकट वापस करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। शनिवार को वे रायपुर लौटने वाले थे, लेकिन अब तक बात न बन पाने के कारण वे दिल्ली में ही जमे हुए हैं।

आज जारी हो सकती है बची हुई लिस्ट

गौरतलब है कि, इस बैठक में छत्तीसगढ़ की बाकी 5 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों पर मंथन होगा। उम्मीद है कि, आज रविवार को या सोमवार को बाकी के नामों की घोषणा हो जायेगी। उपाध्याय इस बैठक से पहले ही नाम बदलवाना चाहते हैं, ताकी नई सूची में रायपुर के लिए बदला हुआ नाम जारी किया जा सके।

राज्य के पॉलिटिकल जायंट है बृजमोहन अग्रवाल

माना जाता है कि राजधानी रायपुर में कांग्रेस के पास अग्रवाल के कद का कोई नेता नहीं है। पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार को सर्वाधिक 67,719 मतों से हराया था। इस जीत के साथ अग्रवाल लगातार आठवीं बार विधायक बन गए थे। इस विधानसभा चुनाव में अग्रवाल ने रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर 1,09,263 मत हासिल किए वहीं महंत को मात्र 41,544 मत ही मिले थे। महंत रामसुंदर दास को बृजमोहन अग्रवाल ने 67,919 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराया। यही वजह है कि महंत ने इतनी बुरी तरह से चुनाव हारने के बाद कांग्रेस पार्टी को अपना इस्तीफा ही सौंप दिया था। बृजमोहन अग्रवाल अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं के साथ लगातार संपर्क में रहते हैं यही उनकी खासियत है।

विकास को चुनाव में हार का डर

इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस में कोई आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कह रहा। मगर सूत्र बता रहे हैं कि बृजमोहन के सामने विकास को रायपुर में हार नहीं चुनावी मैदान में साफ होने की आशंका है। विकास ने पिछले विधानसभा चुनाव में हार का दर्द झेला है। ऐसे में लोकसभा में भी अंजाम दोहरा जाने से उनके पॉलिटिकल करियर पर बट्टा लग जाएगा। इस रिस्क को देखते हुए विकास हाथ पीछे खींच रहे हैं। खास बात ये है कि लोकसभा चुनाव लड़ने की मांग खुद विकास ने ही की थी, लेकिन बीजेपी ने 8 बार के विधायक और मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर उनकी टेंशन बढ़ा दी।

मोदी से टक्कर

इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता चुनाव लड़ने से बच रहे हैं। ये हाल केवल प्रदेश ही नहीं पूरे देश का है। आलम ये है कि पार्टी उन्हें जबरदस्ती मैदान में उतारने को मजबूर है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी लोकसभा चुनाव में लड़ने से इनकार कर दिया था। लेकिन पार्टी ने उन्हें राजनांदगांव से टिकट थमा दिया। यहा भाजपा प्रत्याशी संतोष पांडे ने 1 लाख वोटों के अंतर से पिछला लोकसभा चुनाव जीता था। ऐसे में भूपेश बघेल जी के भी पसीने छूट रहे है। उन्हें पता है कि उनका मुकाबला संतोष पांडे से नहीं पीएम मोदी से होगा। जहां तक रही बात अगर टीएस बाबा की तो वे तो विधानसभा चुनाव में ही हार गए थे तो लोकसभा में तो उनका क्या होगा वो किसी से छुपा नहीं है। मौजूदा समय में वे गुमशुदा की तलाश हो गए है। उनका हालिया कोई बड़ा बयान भी सामने नहीं आया है। जो आया था वो बस ये था की उन्हें लोकसभा चुनाव नही लड़ना है।

अब अगर इस कद के नेताओं का ये हाल है तो विकास उपाध्याय जैसे नए-नए नेता के दिल पर क्या बीत रही होगी सभी समझ सकते है।

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