बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के डभरा थाने में आठ महीने से पेंडिंग FIR की जांच पूरी ना होने को लेकर एक आरोपी ने FIR को ही हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। मामले की सुनवाई के दौरान खुलासा होने पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने नाराजगी जाहिर कर अधिकारियों को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि, अफसरों की रोज फोटो छप रही है, जो काम उनके हिस्से का है, उसे नहीं कर रहे हैं। बालीवुड स्टार तो नहीं कि, पलक छपकते काम पूरा कर लेंगे।
जानकारी के अनुसार, पूरा मामला छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के डभरा थाना का है। जहां पुलिस ने एक मामले में एफआईआर दर्ज किया था। जो की लगातार आठ महीने से पेंडिंग पड़ा है। आठ महीने से जांच अधूरी होने पर लंबे समय से जांच को पेंडिंग रखने के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को चुनौती देते हुए एक आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है।
वही इस मामले के खुलासा होने पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने इस लापरवाही के लिए अफसरों को जमकर फटकार लगाई। उन्होने कहा कि, अफसरों की रोज मीडिया में फाेटो छप रही है, जो काम उनकी ड्यूटी में शामिल है वही नहीं कर रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि, अफसर अपने आपको बालीवुड स्टार समझते हैं क्या? वे कोई बालीवुड स्टार नहीं है, जो पलक छपकते काम पूरा कर लेंगे। पेंडेंसी को लेकर उनकी नाराजगी सामने आई है।
पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, सक्ती जिले के डभरा थाने में 25 अप्रैल 2024 को एक मामला दर्ज किया गया था। याचिकाकर्ता आरोपी के खिलाफ पुलिस ने धारा 120 बी, 408, 420 के तहत एफआईआर दर्ज किया था। एफआईआर को चेलेंज करते हुए आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका पेश की, मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। खास बात ये रही कि, इसी मामले में आरोपी ने अपना पक्ष रखने कोर्ट में उपस्थित हुआ। डिवीजन बेंच के समक्ष अपना पक्ष भी रखा। डिवीजन बेंच को जानकारी देते हुए बताया कि, पुलिस ने 25 अप्रैल 2024 को एफआईआर दर्ज किया है। इसमें क्या हुआ? पुलिस ने आजतलक जानकारी नहीं दी है। वहीं याचिकाकर्ता व आरोपी की जवाब को सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने हैरानी जताई। राज्य शासन की ओर से पक्ष रखने मौजूद अतिरिक्त महाधिवक्ता से चीफ जस्टिस ने पूछा कि, प्रदेश में यह क्या हो रहा है। हर मामले में कुछ इसी तरह की स्थिति सामने आ रही है। एसपी से लेकर जांच अफसर को किसी से कोई मतलब ही नहीं है। साल-दर-साल मामलों की जांच ही चल रही है। मीडिया में अफसरों की फोटो छप रही है। वे अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं। पीड़ित और आरोपी दोनों कोर्ट के सामने उपस्थित होकर अपनी परेशानी बयान कर रहे हैं। सभी कोर्ट में कमोबेश कुछ इसी तरह की स्थिति है।