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HMPV Virus: क्या है HMPV वायरस, कैसे फैलता है और किन लोगों को है ज्यादा खतरा

HMPV Virus In India: देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मामले बढ़ते जा रही हैं। इसे देखते हुए पीजीआई ने लोगों से बचाव उपायों का पालन करने की अपील की है. पीजीआई के डीन रिसर्च और इंटरनल मेडिसिन के प्रमुख प्रोफेसर संजय जैन ने कहा कि यह श्वास संबंधी वायरस है, जो ठंड के मौसम में फैलता है. इस वायरस के लक्षण इन्फ्लूएंजा जैसे होते हैं, जैसे खांसी, बुखार और गले में खराश. यह वायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन खासतौर से छोटे बच्चों और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा होता है.

उन्होंने लोगों से डरने की बजाय एहतियात बरतने की सलाह दी है. पीजीआई में इन्फ्लूएंजा जैसे मामलों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन फिर भी उन्होंने बचाव के तौर पर लोगों से भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहने, हाथ धोने और मास्क पहनने की सलाह दी है. इसके अलावा, पीजीआई में इस तरह के इन्फेक्शन से निपटने के लिए सभी मेडिकल फैसिलिटीज उपलब्ध हैं.

एचएमपीवी क्या है:

एचएमपीवी एक रेस्पिरेटरी वायरस है, जो इंसानों के रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है. इस वायरस की पहचान पहली बार 2001 में हुई थी, जब नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था. यह पैरामाइक्सोविरीडे फैमिली का वायरस है और खांसने, छींकने और संक्रमित व्यक्ति के पास रहने से फैलता है. यह वायरस पिछले छह दशकों से दुनिया में मौजूद है.

किन पर पड़ता है ज्यादा असर: 

एचएमपीवी का असर यह वायरस खासतौर से बच्चों पर असर डालता है, लेकिन कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग और बुजुर्ग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं. इसके कारण सर्दी, खांसी, बुखार और कफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ज्यादा गंभीर मामलों में गला और ट्रेकिआ में सूजन आ जाती है जिसके कारण सीटी जैसी आवाज भी हो सकती है. कुछ गंभीर मामलों में ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ सकती है.

क्या हैं लक्षण: 

एचएमपीवी और कोरोना वायरस के लक्षण मिलते-जुलते होते हैं, लेकिन कोरोना वायरस महामारी की तरह पूरे साल फैलने वाला वायरस है, जबकि एचएमपीवी खासतौर से सीजनल इन्फेक्शन माना जाता है. हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी देखी गई है.

क्या हो सकता है खतरा: 

एचएमपीवी के कारण ऊपर और नीचे के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन्स का खतरा हो सकता है. आमतौर पर इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है, लेकिन अगर वायरस ज्यादा गंभीर हो जाए तो अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.

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