अब्दुल सलाम क़ादरी-एडिटर इन चीफ (बीबीसी लाईव)
मनेन्द्रगढ़ | विशेष खोजी रिपोर्ट
मनेन्द्रगढ़ वन मंडल इन दिनों वन संरक्षण नहीं, बल्कि कथित घोटालों, अनियमितताओं और प्रशासनिक संरक्षण को लेकर चर्चा में है। जनकपुर, मनेन्द्रगढ़, बहरासी, बिहारपुर, केल्हारी, चिरमिरी, खड़गवां, कोटाडोल और कुँआरपुर वन परीक्षेत्रों से मिल रही जानकारियों, स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और विभागीय सूत्रों के अनुसार वन विभाग की कई योजनाएं केवल कागज़ों तक सीमित रह गई हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
गोंडवाना फॉसिल पार्क: विकास के नाम पर खर्च, ज़मीन पर सन्नाटा
मनेन्द्रगढ़ स्थित गोंडवाना फॉसिल पार्क को पर्यटन और विरासत संरक्षण का बड़ा केंद्र बनाने के दावे किए गए थे। लेकिन स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार पार्क में विकास, सौंदर्यीकरण, पाथवे, साइन बोर्ड, सुरक्षा और रखरखाव के नाम पर लाखों–करोड़ों रुपये खर्च दिखाए गए, जबकि कई संरचनाएं अधूरी हैं या मौजूद ही नहीं।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि निरीक्षण केवल कागज़ों में हुआ और भुगतान भी उसी आधार पर कर दिया गया।
महुआ वृक्ष संरक्षण घोटाला: कागज़ों में हरे-भरे, जंगल में गायब
जनकपुर, केल्हारी, बिहारपुर और कुँआरपुर क्षेत्र से आ रही सूचनाओं के मुताबिक महुआ वृक्ष संरक्षण, रोपण और देखरेख के नाम पर भारी राशि निकाली गई।
ग्रामीणों का कहना है कि जिन स्थानों पर सैकड़ों महुआ पौधे लगाए जाने का दावा किया गया, वहां न तो पौधे दिखते हैं और न ही संरक्षण कार्य। कई मामलों में पुराने पेड़ों के नाम पर भी भुगतान दर्शाया गया।
समितियों के खातों से नगद आहरण का खेल
वन सुरक्षा समितियों और संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के खातों में सरकारी राशि डालकर नगद निकालने के आरोप सामने आए हैं।
सूत्रों के अनुसार यह प्रक्रिया जनकपुर, बहरासी, खड़गवां और कोटाडोल, मनेन्द्रगढ़, बिहारपुर, कुँआरपुर परीक्षेत्र में अधिक देखने को मिली, जहां समिति के नाम पर पैसा डालकर उसे वापस लेने की चर्चा है।
फर्जी मजदूर, फर्जी काम
जनकपुर, मनेन्द्रगढ़, बहरासी, बिहारपुर, केल्हारी, चिरमिरी, खड़गवां, कोटाडोल और कुँआरपुर वन परीक्षेत्रों से यह आरोप सामने आए हैं कि ऐसे मजदूरों के नाम पर भुगतान किया गया जो कभी काम पर आए ही नहीं।
कागज़ों में जंगल साफ़, पौधरोपण और गड्ढा खुदाई दिखाई गई, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें ऐसे किसी काम की जानकारी नहीं।
खरीदी घोटाला: तार से लेकर डीज़ल तक
वारवेट वायर, चैनलिंक जाली, फेंसिंग पोल, रासायनिक खाद, गोबर खाद और डीज़ल की खरीदी में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप हैं।
स्थानीय व्यापारियों के अनुसार बाजार दर से कहीं अधिक कीमतों पर सामग्री खरीदी दिखाई गई, जबकि वास्तविक सप्लाई या तो कम मात्रा में हुई या घटिया गुणवत्ता की रही।
अवैध पेड़ों की कटाई: जंगल कटे, कार्रवाई नदारद
बहरासी, बिहारपुर, कोटाडोल और कुँआरपुर क्षेत्र में अवैध कटाई की शिकायतें लगातार मिल रही हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि रातों-रात कीमती पेड़ काटकर बाहर भेज दिए जाते हैं, लेकिन जिम्मेदार अमला आंख मूंदे रहता है।
शहरों में जंगली जानवर, जनता में डर
चिरमिरी, खड़गवां और मनेन्द्रगढ़ शहर क्षेत्र में जंगली जानवरों के प्रवेश से दहशत का माहौल ।
वन्यजीव प्रबंधन की कमजोर व्यवस्था के चलते लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रोजमर्रा की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
प्रशासनिक संरक्षण के आरोप
इतने गंभीर मामलों के बावजूद मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के डीएफओ मनीष कश्यप, संबंधित रेंजरों और एसडीओ पर कोई ठोस कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है।
स्थानीय स्तर पर यह चर्चा आम है कि विभागीय और राजनीतिक संरक्षण के चलते जांच आगे नहीं बढ़ पा रही।
जनता की मांग: निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच
जनकपुर, मनेन्द्रगढ़, बहरासी, बिहारपुर, केल्हारी, चिरमिरी, खड़गवां, कोटाडोल और कुँआरपुर वन परीक्षेत्रों तक के ग्रामीणों, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने इन सभी कथित घोटालों की उच्चस्तरीय, स्वतंत्र जांच की मांग की है।
लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो जंगल और जनहित दोनों को भारी नुकसान होगा।
मनेन्द्रगढ़ वन मंडल का यह मामला केवल आर्थिक घोटालों का नहीं, बल्कि पर्यावरण, वन्यजीव और आम जनता की सुरक्षा से जुड़ा है। अब देखना यह है कि शासन इन आरोपों को कितनी गंभीरता से लेकर पारदर्शी जांच कराता है या फिर यह मामला भी फाइलों में ही दबकर रह जाता है।






















