कोटा राजस्थान से आय ब्रह्मज्ञानी संत श्री ओमप्रकाश साहित्य की अध्यक्षता में समर्पण दिवस शाम 5 से 8 बजे तक लाखेनगर के हिन्द स्पोर्टिंग ग्राउंड में मनाया गया। अपने प्रवचनों में संत जी ने कहा कि संतों को याद करने का कोई एक विशेष दिन नहीं होता बल्कि इनका जीवन तो हर पल प्रेरणा देता है। वो चाहे महात्मा बुद्ध जी या महावीर जी या राम चंद्र जी आये इन सभी का सम्पूर्ण जीवन ही प्रेरणा देता है ऐसे संतों महात्माओं का कोई एक दिन जब उन्होंने इस संसार में जन्म लिया या इन्होंने अपने नश्वर शरीर का त्याग किया केवल वो दिन ही उन्हें याद करने का नहीं होता। उन्होंने जीवन में जो कर्म करके संसार को शिक्षा दी उसे हमने अपने जीवन में हर पल जीने का प्रयास करना चाहिए।
निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए आपने कहा कि बाबा जी एक महान जीवन जी कर संसार को प्रेम की शिक्षा दे गये वो कहा करते थे कि यदि किसी के दिल में नफ़रत है वैर है तो उसे प्यार देना होगा और यदि फिर भी उसका हिर्दय परिवर्तित ना हो तो उसे और ज़्यादा प्यार दिया जाये जिससे उसके हिर्दय से वैर नफ़रत वाला भाव दूर हो जाए।
बाबा हरदेव सिंह जी कहा करते थे कि जीवन बाजी को जीत कर जाना है। जो उपदेश दिये गये है उन्हें जीवन में ढालना है केवल सुन लेना काफ़ी नहीं है। तभी भक्ति को ईश्वर स्वीकार करता है।
संत अवनीत जी को भी आज के दिन याद किया जाता है।जिन्होंने अपने सत्गुरु के साथ ही अपने जीवन की तोड़ निभाई।
समर्पण दिवस पर लगभग 1200 संतों,भक्तों ने श्रद्धापूर्वक बाबा जी को याद किया। सेवादल ने सत्संग की सुंदर व्यवस्था की और आय हुए प्रभुप्रेमियों के लिये गुरु लंगर की भी व्यवस्था की गई ।