छत्तीसगढ़राज्य

भागवत ऐसा ग्रन्थ है जिसका स्मरण मात्र से ही कल्याण हो जाता है। जो वेदों का सार है वह श्रीमद्भगवत है

रिपोर्टर पवन साहू धमतरी

मनुष्य को ह्रदय एवम आत्मा को पवित्र कर श्रीमद्भागवत जी को कथा का श्रवण करना चाहिए।

उन्होंने कहा ,हमारे जीवन का सबसे बुरा दिन ही वह है जब हम भगवान का स्मरण नही करते है।
पूजा और भक्ति के अंतर को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि पूजा वह है जो हम प्रातःकालीन पूजा करते है। और भक्ति वह है जो ठाकुर जी से हमारा रिश्ता हम बना लेते है।
धमतरी रुद्री में श्री दुखुराम साहू जी श्री नरेन्द्र, दीनदयाल, कौशल साहू जी के शुभ संकल्प से आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ कथा के दूसरे दिन गुरुवार को विख्यात कथा वाचक आचार्य श्री रामप्रताप शास्त्री जी महाराज ने भागवत जी के कथा के अन्तर्गत कहा कि
श्रीमद्भागवत कथा का रसपान मनुष्य जीवित रहकर ही नही बल्कि मरने के बाद भी करता है।जो कथा का श्रवण मरने के बाद भी कर लेता है उसको मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया। श्री शास्त्री जी ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के दौरान धार्मिक गीतों पर श्रद्धालु जम कर झूमें। कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरूष कथा सुनने पहुंचे। मुख्य रूप से
पूर्व विधायक हर्षद मेहता, विपिन साहू, वरिष्ठ अधिवक्ता डीपी जोशी, अवनेंद्र साहू , डिपेन्द्र साहू कोमल सार्वा, सुनील साहू,बलराम साहू, बिहारी लाल साहू, संत राम ध्रुव,रामकृष्ण, आर आर पांडे, विजय पदमवर,
जी आर साहू, प्रकाश श्रीवास्तव,
एन के साहू, गौतम साहू, माधवेन्द्र हिरवानी,
अर्चना साहू माया ,साहू, गूंजा साहू ,चांदनी, , सहित श्रोतागढ़ बड़ी संख्या में पहुंचे थे।

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