Cyclone Fengal: भारत में साइक्लोन सीजन का समय आमतौर पर मई से नवंबर के बीच होता है, जब बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवात या साइक्लोन की स्थितियां बनती हैं. ये साइक्लोन भारत के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, जिससे भारी बारिश, तेज हवाएं और बाढ़ जैसी आपदाएं आती हैं. इन चक्रवाती तूफानों का असर मुख्य रूप से ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात प्रांत पर पड़ता है. भारत में इस बार कुल 4 साइक्लोन आए, जिसमं से 2 काफी खतरनाक थे, जिनकी वजह से 5 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है.
दरअसल, भारत का एक साइक्लोन जोन है, जहां पर हर साल चक्रवाती तूफान आते हैं. मौसम विभाग की तरफ से पहले से जानकारी मिलने की वजह हजारों लोगों की जान तो बच जाती है, इसके बावजूद भारी मात्रा में जानमाल का नुकसान होता है. इस दौरान समुद्र में तेज लहरें उठने लगती हैं, जिससे तटीय इलाकों में पानी भर जाता है. तेज हवाएं पेड़ों और घरों को गिरा देती हैं. इस दौरान तेज बारिश होती है, जिससे लोगों के घर, बिजली के पोल, पुल, यहां तक सड़के बह जाती हैं.
साइक्लोन से 5 हजार करोड़ का नुकसान
भारत में इस साल चार साइक्लोन -रेमल, आसना, दाना और फेंगल ने जमकर तबाही मचाई. इस साल मई महीने में साइक्लोन का सीजन शुरू हुआ और दिसंबर के शुरुआत तक चला. अक्सक नवंबर महीने तक साइक्लोन सीजन खत्म हो जाता है. इन सबसे इसबार सबसे खतरनाक साइक्लोन रेमल था, जिस दौरान 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही थी. इस साल आए साइक्लोन में कुल 278 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही 5334 करोड़ का नुकसान हुआ है.
साइक्लोन ‘दाना’ और ‘फेंगल’
वैज्ञानिकों ने 20 अक्टूबर को बंगाल की खाड़ी में एक दबाव बनते देखा, जो दो दिन के भीतर तूफान में बदल गया. इस तूफान ने 22 अक्टूबर से लेकर 26 अक्टूबर तक जमकर तबाही. दाना की चपेट में ओडिशा और पश्चिम बंगाल थे. दूसरी तरफ फेंगल तूफान की बात करें तो 14 नवंबर को सुमात्रा के पास एक दबाव बनते देखा गया, जो धीरे-धीरे चक्रवाती तूफान में बदल गया. साइक्लोन फेंगल ने 25 नवंबर से 2 दिसंबर तक तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में जमकर तबाही मचाई. फेंगल की वजह से श्रीलंका में भी जमकर बारिश हुई.
भारत में इन साइक्लोन की स्थिति को देखते हुए मौसम विभाग ने पहले से ही अलर्ट जारी कर दिया था और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की योजना बनाई थी. हालांकि, इन साइक्लोन के कारण मानव और संपत्ति की भारी क्षति होती है, फिर भी समय रहते एहतियात बरतने से इस तरह के हादसों में कमी लाई जा सकती है.