दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले 8वें वेतन आयोग की घोषणा कर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार ने ब्रह्मास्त्र चल दिया है. दिल्ली में बड़ी संख्या में सरकारी नौकरीपेशा लोग रहते हैं. मोदी सरकार का यह फैसला सीधे तौर पर इन लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करेगा. दरअसल, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को हराने में बीजेपी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, केजरीवाल की प्रसिद्धि और उनकी सरकार में दिल्ली में हुए काम के आगे बीजेपी के सारे पैंतरे फीके साबित हो रहे हैं, ऐसे में केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग का ऐलान कर दिया है.
आठवें वेतन आयोग की प्रमुख विशेषताएं
आठवें वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान, भत्तों और अलाउंसेज में सुधार करना है, ताकि मौजूदा आर्थिक परिप्रेक्ष्य और मुद्रास्फीति के प्रभाव को बेहतर तरीके से संबोधित किया जा सके. इस आयोग के तहत कुछ महत्वपूर्ण सुधारों की योजना है:
फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor): आयोग में एक नया फिटमेंट फैक्टर 2.28 का प्रस्ताव है, जिससे न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 41,000 रुपये हो जाएगा. यह बदलाव लगभग 34.1 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.
डियरनेस अलाउंस (DA): डीए की दर जनवरी 2026 तक 70 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है, जिसे फिर बेसिक वेतन में जोड़ा जाएगा. इस बदलाव से वेतन व्यवस्था अधिक पारदर्शी और सरल बनेगी.
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को प्रभावित करने वाले कारण
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें विभिन्न कारकों के आधार पर तय की जाएंगी, जिनमें प्रमुख हैं:
मुद्रास्फीति और आर्थिक परिस्थितियां: आयोग वेतन व्यवस्था में ऐसे बदलाव करेगा जो जीवन यापन की वर्तमान लागत और बाज़ार की स्थितियों के अनुकूल हों.
श्रम मानक: आयोग द्वारा प्रस्तावित सिफारिशें भारतीय श्रमिक सम्मेलन (ILC) और डॉ. अक्रीड का फॉर्मूला अपनाएंगे, जो एक औसत परिवार की आवश्यकताओं के लिए न्यूनतम निवेश पर आधारित होंगे.
बाजार मूल्य और DA दरें: वस्तुओं के मूल्य और डियरनेस अलाउंस के वास्तविक समय डेटा को फैसले में शामिल किया जाएगा.
प्रस्तावित वेतन संरचना में बदलाव
आठवें वेतन आयोग का मुख्य उद्देश्य वेतन संरचनाओं को सरल और मानकीकरण करना है.
फिटमेंट फैक्टर में एकरूपता: सातवें वेतन आयोग की तरह, जो विभिन्न फिटमेंट फैक्टर (2.57 से 2.81 तक) का इस्तेमाल करता था, आठवां आयोग अब एक समान 2.28 का फिटमेंट फैक्टर प्रस्तावित करता है.
न्यूनतम वेतन वृद्धि: सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक यह है कि न्यूनतम वेतन में ₹41,000 तक की वृद्धि की उम्मीद है, जो मुद्रास्फीति के असर को कम करने और कर्मचारियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए किया जाएगा.
पारदर्शी वेतन मैट्रिक्स: सातवें वेतन आयोग के तहत शुरू की गई सरल वेतन प्रणाली पर आधारित एक नया वेतन मैट्रिक्स तैयार किया गया है, जो कर्मचारियों के लिए सुविधाजनक और आसान होगा.
क्या यह कदम केजरीवाल के लिए चुनौती है?
पांच साल के कार्यकाल के दौरान, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के सरकारी कर्मचारियों को कई तरह की सुविधाएं और भत्ते दिए हैं. इस घोषणा से पहले की गई घोषणाएं और मोदी सरकार द्वारा वेतन आयोग का ऐलान दिल्ली की राजनीति में गर्मी ला सकते हैं. इससे यह सवाल भी उठता है कि क्या इस ऐलान का मुख्य उद्देश्य दिल्ली चुनावों से पहले केजरीवाल सरकार के कार्यों को चुनौती देना है? अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कदम का दिल्ली चुनावों पर क्या असर पड़ता है और इसका राजनीतिक फायदा किसे मिलता है.
कुल मिलाकर, आठवें वेतन आयोग के ऐलान ने मोदी सरकार की ओर से एक बड़ी राजनीतिक और आर्थिक चाल की तरफ इशारा किया है. यह समय बताएगा कि इस कदम से केंद्रीय कर्मचारियों को कितना फायदा होगा और दिल्ली चुनाव में इसका राजनीतिक रूप से कितना बड़ा असर पड़ेगा.