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स्पोर्टस इंजरी के ट्रीटमेंट का हब बन रहा सिम्स

रिफर किये जाते थे रायपुर, अब संपूर्ण इलाज सिम्स में
बिलासपुर, 20 जनवरी 2024/ सिम्स के अस्थि रोग विभाग द्वारा स्पोर्टस इंजरी के मरीजों का सफल इलाज डॉक्टरों के द्वारा किया जा रहा है। इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों की औसत उम्र 20 से 35 वर्ष के आसपास होती है एवं अधिकांश मरीजों को घुटनों मे लचकपन, दर्द और सूजन की समस्या रहती है। कुछ मरीज सिम्स अस्पताल में परामर्श के लिए आए थे तथा डॉक्टर द्वारा जाँच और घुटने की एमआरआई करने के बाद पता चला की घुटने की डोरी टुट गई है और कुछ मरीजों में गद्दी (एंटेरियर क्रूसिएट लाइमेंट) फटी पाई गयी। उन्हें दुरबीन पद्धति से (आर्थाेस्कोपिक एसीएल रिकंस्टक्रशन, मेनिस्कूयस रिपेयर) द्वारा ऑपरेशन की सलाह दी गई। दुरबीन पद्धति एक प्रकार की की होल सर्जरी है। इस ऑपरेशन में घुटने में छोटे-छोटे छेद करके ऑपरेशन होता है।
मरीज की सहमति के बाद ऑपरेशन विभागाध्यक्ष डॉ ए. आर. बेन, प्राध्यापक डॉ आर. के. दास, सहायक प्राध्यापक डॉ संजय कुमार घिल्ले, डॉ अविनाश अग्रवाल एवं डॉ शुभम पाण्डेय की टीम द्वारा किया जाता है। ऑपरेशन में निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश निगमएवं उनकी टीम का योगदान महत्वपूर्ण योगदान रहता है। विगत वर्ष 2023 में स्पोर्टस इंजरी के औसतन 40 मरीज प्रतिमाह ओ. पी. डी. में आये, जिनकी जाँच और एमआरआई कराने के पश्चात् इनमें से कुछ मरीजो को ऑपरेशन की होल सर्जरी कराने की सलाह दी गई और कुछ मरीजो का फिजियोथेरपी के माध्यम से इलाज की सलाह दी गई।
     मरीजो की सहमति के पश्चात् गत वर्षाे में 18 मरीजों की “की होल सर्जरी” (आर्थाेस्कोपिक एसीएल रिकंस्टक्रशन) द्वारा ऑपरेशन किया गया ऑपरेशन के बाद मरीज को रेगुलर फिजियोथेरेपी कराया गया इनमें से अधिकांश मरीज बिल्कुल ठीक और अपने स्पोर्टस एक्टिविटी में वापस लौट चुके है औसतन इस ऑपरेशन में कम्प्लीट रिकवरी में लगभग 06 माह लगते है। पहले इस ऑपरेशन के लिये मरीजों को रायपुर रिफर किया जाता था। यह ऑपरेशन सम्पूर्ण इलाज पूर्णतः निःशुल्क किया गया। इससे यह ऑपरेशन बिलासपुर शहर के केवल निजी अस्पताल में उपलब्ध था, जिसमें 70 से 80 हजार रूपये का खर्च आता था। इस ऑपरेशन हेतु अधिष्ठाता के.के. सहारे एवं चिकित्सा अधीक्षक का मार्गदर्शन, पूर्ण संरक्षण एवं सहयोग प्राप्त हुआ। कुछ वृद्ध अवस्था के मरीजो में की होल सर्जरी द्वारा खराब घुटने में डायग्नोस्टिक आर्थाेस्कोपिक कर लूज बॉडी रिमूवल भी किया गया है।
      इस तरह के जटिल ऑपरेशन से इस संभाग में युवा वर्ग जो कि स्पोट्स इंजरी से पीड़ित है। उनको इलाज पूर्णतः निःशुल्क मिल सकेगा। साथ ही ग्रामीण अंचल एवं दुरदराज के गरीब युवा जो पैसे की कमी के कारण इस तरह का इलाज नहीं करा पाते वो भी इसका लाभ प्राप्त कर सकते है।

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