रायपुर। लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपने सभी दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत, पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व मंत्री शिव डहरिया को चुनाव लड़ाने की चर्चा है।
दरअसल, शुक्रवार (26 जनवरी) को स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें कमेटी की अध्यक्ष रजनी पाटिल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और अन्य सदस्य मौजूद रहे। इस बैठक में प्रत्याशियों के नाम और रणनीति पर चर्चा की गई। इस बैठक के बाद मीडिया में दिग्गजों के लोकसभा चुनाव लड़ने की खबर आई।
जब मीडिया ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से प्रतिक्रिया ली तो, उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं तो विधायक हूं। मैं प्रदेश भर में घूम-घूमकर प्रचार करना चाहता हूं। मुझे ये जिम्मेदारी मिलेगी तो ज्यादा अच्छा होगा।
बताया जा रहा है कि स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर ने राजनांदगांव लोकसभा सीट से भूपेश बघेल के नाम का प्रस्ताव रखा। जिसका समर्थन राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सभी विधायकों ने किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाईकमान से भूपेश बघेल को चुनाव लड़ाने की हरी झंडी मिल चुकी है।
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को यहां से लड़ाने की तैयारी
राजनांदगांव- पूर्व सीएम भूपेश बघेल
महासमुंद- पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू
कांकेर- पूर्व मंत्री मोहन मरकाम
जांजगीर चांपा- पूर्व मंत्री शिव डहरिया
कोरबा- सांसद ज्योत्सना महंत
बस्तर- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज
भूपेश ने क्यों किया इनकार?
रायपुर लोकसभा से भूपेश बघेल चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें उन्हें हार मिली थी। वहीं जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, तब भी पार्टी को सफलता नहीं मिली थी। सारे संसाधन झोंकने के बावजूद निराशा हाथ लगी थी। 11 में से सिर्फ 2 सीटों पर जीत नसीब हुई थी। अब तो पार्टी विपक्ष में हैं। संसाधनों की कमी है। वहीं राजनांदगांव विधानसभा सीट में गिरीश देवांगन को भी जिता नहीं पाए। ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव कैसे जीतेगी?
सवाल है कि कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में क्यों उतार रही है? राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस एक तीर से दो निशाना लगाना चाह रही है। एक तो दिग्गजों के लड़ने से प्रचार में फायदा होगा, दूसरा संसाधनों की कमी नहीं होगी।
बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होने से पूरा देश भगवामय हो गया है। वहीं देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जबरदस्त लहर है। इसलिए लोकसभा चुनाव एकतरफा होने की संभावना जताई है। इस परिस्थिति में कोई राजनीतिक पार्टी अकेले चुनाव लड़ने की जोखिम नहीं उठा रही है। विपक्ष के सारे दल डरे हुए हैं। कुछ महीनों पहले पीएम मोदी से मुकाबला करने विपक्षों दलों ने महागठबंधन ‘इंडिया’ बनाया, लेकिन इसकी भी हवा निकल गई। बिहार में जेडीयू, पंजाब में आप और बंगाल में टीएमसी ने कांग्रेस को आंखे दिखा दी है। ऐसी परिस्थिति में विपक्ष कहा टिक पाएगा। छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी की हव बनती दिख रही है।