नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने सोमवार को सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में पर्चे बांटते हुए, पोस्टर चिपकाते हुए बच्चे या नाबालिग नहीं दिखने चाहिए। गाइडलाइन के उल्लंघन होने पर बाल श्रम से संबंधित सभी अधिनियम, कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी को कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है।
गाइडलाइन में राजनीतिक पार्टियों को दिए ये निर्देश
आयोग ने राजनीतिक दलों को निर्देश दिया कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार के चुनाव अभियान में शामिल न करें। जिसमें रैलियां, नारेबाज़ी, पोस्टर या पैम्पलेट का वितरण, या कोई अन्य चुनाव-संबंधी गतिविधि शामिल है। राजनीतिक नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों के लिए बच्चों का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चे को गोद में लेना, वाहन में बच्चे को ले जाना या रैलियों में शामिल करना शामिल है।
राजनीतिक अभियान में बच्चों से कविता, गीत, बोले गए शब्दों के माध्यम से उपयोग, राजनीतिक दल या उम्मीदवार के प्रतीक चिन्ह का प्रदर्शन न कराया जाए। वहीं बच्चों से राजनीतिक दल या प्रतिद्वंदी राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की आलोचना नहीं करा सकते। हालांकि, किसी राजनीतिक नेता के निकट अपने माता-पिता या अभिभावक के साथ एक बच्चे की उपस्थिति और जो राजनीतिक दल द्वारा किसी भी चुनाव प्रचार गतिविधि में शामिल नहीं है, को दिशा-निर्देशों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।
इन कानूनों के तहत होगी कार्रवाई
सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 2012 की जनहित याचिका संख्या 127 (चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य) में अपने आदेश दिनांक 4 अगस्त, 2014 में कहा था कि राजनीतिक दल चुनाव संबंधी किसी भी गतिविधि में बच्चे या नाबालिगों की भागीदारी की अनुमति न दें। इन प्रावधानों के उल्लंघन करने पर गंभीर कार्रवाई की जाएगी।