रायपुर। बस्तर व कोंडागांव क्षेत्र के घोरागांव व सोरागांव में हीरे और दुर्लभ धातुओं के भंडार होने के संकेत मिले हैं। जानकारी के अनुसार, क्षेत्र के 488 वर्ग किलोमीटर के दायरे में संकेतक खनिज मिले हैं। खनिज विभाग ने क्षेत्र में अन्वेषण लायसेंस की नीलामी के लिए ब्लाक की सिफारिश की है। विभाग ने 26 सितंबर तक अन्वेषण लाइसेंस की नीलामी प्रक्रिया में हिस्सा लेने की इच्छुक कंपनियों को आमंत्रित किया है।
बता दें कि, बस्तर व कोंडागांव क्षेत्र के प्रमुख संरचनात्मक प्रवृत्तियों व जीएसआइ की कई भूवैज्ञानिक जांचों में किम्बरलाइट संकेतक खनिज की मौजूदगी मिली है। इस क्षेत्र में किम्बरलाइट संकेतक और अन्य खनिजों के लिए अन्वेषण और पेट्रोग्राफिक अध्ययन किए जा सकते हैं। किम्बरलाइट में ही हीरा पाया जाता है।
जानकारी के मुताबिक, मध्य भारतीय ढाल का बस्तर क्रेटन पूर्वी घाट, महानदी और गोदावरी दरारों और सोन नर्मदा रेखा से घिरा हुआ है। इसमें मुख्य रूप से सुप्राकस्टल चट्टानों के साथ गनीस और ग्रेलाइटाइड है। वहीं प्रदेश के जशपुर स्थित तुमला गांव में भी हीरे के भंडार से जुड़े संकेतक खनिज मिले हैं। यहां 25 किमी के दायरे में हीरे होने की पुष्टि हुई है।
जानकारी के अनुसार, बस्तर विकासखंड के ग्राम सोरगांव, सिवनी के दो सौ से अधिक महिला-पुरुष कलेक्ट्रेट में दो घंटे से अधिक समय तक डटे रहे। इनका कहना था कि, उन्होंने जीएसआइ द्वारा उनके क्षेत्र में हीरा और दुलर्भ धातु मिलने की संभावना कुछ अन्य से जुड़े दस्तावेज प्राप्त किए गए हैं। खनिजों के मिलने की संभावना अच्छी बात है, लेकिन यदि बसाहट क्षेत्रों के विस्थापन जैसी स्थिति बनेगी तो यह उन्हें स्वीकार नहीं होगा। ग्रामीणों ने कहा कि, उन्हें तो यह भी नहीं पता कि, अन्वेषण क्या होता है। लेकिन यदि खनिज मिलता है तो भविष्य में खनन भी किया जाएगा।
ग्रामीणों ने कहा कि, उन्हें पूरे मामले की जानकारी जिला प्रशासन और भौमिकी एवं खनिकर्म विभाग द्वारा दी जानी चाहिए। ग्रामीणों के साथ क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारी भी आए थे। जिन्होंने भी विरोध की बातें कही। इधर मामले की जानकारी जिला प्रशासन द्वारा दी जानी चाहिए। ग्रामीणों के साथ क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारी भी आय थे। जिन्होंने भी विरोध की बातें कही। इधर मामले की वस्तुस्थिति जानने के लिए मीडिया टीम के प्रभारी, भौमिकी एवं खनिकर्म क्षेत्रीय कार्यालय आड़ावाल से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि, अभी तक इस कार्यालय को जीएसआइ के द्वारा बस्तर और कोंडागांव जिले में किसी खजिन का अन्वेषण प्रस्तावित करने की जानकारी नहीं है। इस बारे में संचालनालय से चर्चा करके ही कुछ बता पाना संभव होगा।