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January 7, 2025
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अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा, कैंप में गुजारेंगे रात, आत्मसमर्पित नक्सली देंगे शांति सन्देश

रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान 100 आत्मसमर्पित पूर्व नक्सलियों और उग्रवादियों को बस्तर बुलाया गया है, जिनका उद्देश्य नक्सलियों के बीच शांति का संदेश फैलाना और हिंसा की राह छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का प्रेरणा देना है। इनमें असम के बोडोलैंड आंदोलन से जुड़े पूर्व उग्रवादी गोविंदा चंद्र बसुमतारी, तेलंगाना की महिला एवं बाल विकास मंत्री डी. अनसूया सीताक्का और अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं। ये नेता 13 दिसंबर को बस्तर पहुंचेंगे, जहां वे गृह मंत्री अमित शाह के सामने अपने अनुभव साझा करेंगे।

इन आत्मसमर्पित नक्सलियों और उग्रवादियों ने हिंसा छोड़कर समाज की सेवा शुरू की है और अब वे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति का संदेश देने के लिए तैयार हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 14 दिसंबर को बस्तर के जगदलपुर में आयोजित बस्तर ओलिंपिक के समापन समारोह में शिरकत करेंगे और नक्सलियों के लिए पुनर्वास नीति की घोषणा करेंगे। इसके बाद, वे जवानों के साथ रात का भोजन करेंगे और कुख्यात नक्सली कमांडर हिडमा के गांव में जवानों का हौसला बढ़ाएंगे।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य बस्तर क्षेत्र में शांति की स्थिरता सुनिश्चित करना और हिंसा की जगह अहिंसा को बढ़ावा देना है। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि यह कदम नक्सलवाद को समाप्त करने और लोकतांत्रिक प्रणाली में वापस लौटने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

पूर्व उग्रवादी गोविंदा चंद्र बसुमतारी और डी. अनसूया सीताक्का जन सेवा में लगे

गोविंदा चंद्र बसुमतारी, जो असम के बोडोलैंड आंदोलन से जुड़े थे, अब असम के उदयगिरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 2020 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बोडो समझौता हुआ, जिसके बाद 1500 हथियारबंद उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। गोविंदा की पहल पर ही केंद्र सरकार इस समझौते के लिए तैयार हुई थी।

वहीं, तेलंगाना की मंत्री डी. अनसूया सीताक्का ने 1987 में नक्सली आंदोलन में शामिल होने के बाद हिंसा का रास्ता छोड़ा और 1997 में आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौट आईं। आज वे अपनी शिक्षा और सेवा के साथ एक प्रेरणा बन चुकी हैं।

अंतिम लक्ष्य: नक्सलवाद का सफाया

केंद्र सरकार का यह कदम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने और मुख्यधारा में लौटने के संदेश को फैलाने के लिए अहम साबित हो सकता है। आत्मसमर्पित पूर्व नक्सली और उग्रवादी न केवल शांति का संदेश देंगे, बल्कि यह साबित करेंगे कि अगर सही दिशा मिल जाए, तो किसी भी व्यक्ति का पुनर्निर्माण संभव है।

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