April 20, 2025
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Bilaspur : गांजा बेचकर घर-कार खरीदने वाले जीआरपी आरक्षकों की पोल खुली, डेढ़ करोड़ की संपत्ति जब्त

बिलासपुर। पुलिस ने वित्तीय जांच के बाद गांजे के धंधे में शामिल जीआरपी में तैनात तीन कांस्टेबलों की संपत्ति जब्त कर ली है। इन कांस्टेबलों के नाम पर मिली संपत्तियों में आलीशान घर, कार और मोटरसाइकिल शामिल हैं। कुल डेढ़ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है और मामला मुंबई सफेमा कोर्ट में भेज दिया गया है।

बता दें कि, बीते शुक्रवार को एसपी रजनेश सिंह ने बिलासागुड़ी में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरक्षकों की संपत्ति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आरक्षक लक्ष्मण गाइन, संतोष राठौर, मन्नू प्रजापति और सौरभ नागवंशी गांजा के धंधे में शामिल थे। चारों फिलहाल जेल में बंद हैं। 23 अक्टूबर को इनके साथियों योगेश सोंधिया और रोहित द्विवेदी से 20 किलो गांजा जब्त किया गया था। जीआरपी थाने में दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जांच में पता चला है कि चारों कांस्टेबल अवैध गतिविधियों में संलिप्त थे। वे ट्रेन में गांजा जब्त कर अपने साथियों योगेश उर्फ गुड्डू सोंधिया और श्यामधर उर्फ छोटू चौधरी को सौंप देते थे। इसके बाद वे ट्रेन में पहले से बुलाए गए लोगों को गांजा सप्लाई करते थे।

संपत्तियों को जब्त कर लिया गया

इस पूरे मामले की जांच के बाद उनके खिलाफ एनडीपीएस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई है। वित्तीय जांच के बाद उनके नाम पर जमीन, मकान और महंगी गाड़ियां जैसी संपत्तियां पाई गई हैं। इन संपत्तियों को जब्त कर लिया गया है और मामले को आगे की कार्यवाही के लिए मुंबई की सफेमा कोर्ट में भेज दिया गया है।

कांस्टेबल मन्नू अपने साले के बैंक खाते में जमा कराता था पैसे

कांस्टेबल मन्नू प्रजापति अपने साले के बैंक खाते में पैसे जमा कराता था। उस खाते में लाखों रुपए के लेन-देन का पता चला है। अन्य कांस्टेबलों ने भी कोरबा में काफी संपत्ति अर्जित की है। अब तक पुलिस ने इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जो सभी फिलहाल जेल में हैं।

देश भर के कई राज्यों के तस्करों को सप्लाई करते थे गांजा

सुरक्षाकर्मियों की एक टीम दुर्ग, गोंदिया, रायपुर, चांपा, शक्ति और रायगढ़ के मार्गों पर नियमित रूप से गश्त करती थी। उनके साथ अक्सर स्थानीय युवक भी होते थे। जब्त किए गए गांजे को जब्त करने के बजाय, उसे अन्य संदिग्धों को सौंप दिया जाता था। ये लोग छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के साथ-साथ देश भर के कई राज्यों के तस्करों को गांजा बेचते थे। बदले में, खरीदार सीधे अपने खातों में भुगतान ट्रांसफर करते थे।

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