बड़वानी
मध्यप्रदेश में अब “चल जाएगा” वाली बाबूगिरी पर सीधी चोट हो रही है. प्रशासन ने साफ कर दिया है कि सरकारी पैसे से खेल किया तो कुर्सी नहीं बचेगी. पहले बुरहानपुर में और अब बड़वानी में महिला कलेक्टर के एक फैसले ने सरकारी दफ्तरों में बैठे कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है. बड़वानी जिले में कलेक्टर जयति सिंह ने वित्तीय अनियमितता के गंभीर मामले में बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए सहायक ग्रेड-3 (क्लर्क) को उसके पद से हटाकर सीधे भृत्य यानी चपरासी बना दिया. यह कार्रवाई तहसील न्यायालय बड़वानी में पदस्थ रहे कर्मचारी प्रकाश डुडवे पर की गई है.
शासकीय पैसे में हाथ डाला, मामला हुआ भारी
जांच में सामने आया कि प्रकाश डुडवे ने शासकीय वसूली की राशि 3 लाख 2 हजार 266 रुपये सरकारी खजाने में जमा नहीं की. यह साफ तौर पर शासकीय धन का दुरुपयोग माना गया. कलेक्टर ने इसे मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 का गंभीर उल्लंघन माना.
जवाब नहीं दे पाए, जांच में फंसे
मामला सामने आने के बाद 16 अप्रैल 2024 को कर्मचारी को निलंबित कर स्पष्टीकरण मांगा गया. जवाब संतोषजनक नहीं मिला तो 14 जून 2024 को अपर कलेक्टर को विभागीय जांच अधिकारी नियुक्त किया गया. जांच के दौरान कर्मचारी ने खुद स्वीकार किया कि उससे वित्तीय अनियमितता हुई है. उसने 5 जून 2024 को 1 लाख 43 हजार रुपये ऑनलाइन चालान के जरिए जमा भी किए, लेकिन तब तक मामला पूरी तरह पकड़ में आ चुका था.
सुनवाई में कबूलनामा, फिर गिरी गाज
4 मार्च 2025 को हुई अंतिम सुनवाई में कर्मचारी ने विभागीय जांच में लगे सभी आरोप स्वीकार कर लिए. कलेक्टर ने 19 साल से अधिक की सेवा को ध्यान में रखते हुए सहानुभूति दिखाई, लेकिन संदेश भी साफ दिया कि गलती की सजा मिलेगी. इसके बाद आदेश जारी हुआ कि सहायक ग्रेड-3 को पदावनत कर तहसील कार्यालय पानसेमल में भृत्य (चपरासी) के पद पर पदस्थ किया जाए.
पहले भी दिख चुकी है सख्ती
इससे पहले जनवरी 2025 में बुरहानपुर की तत्कालीन कलेक्टर भव्या मित्तल ने भी रिश्वतखोरी के मामले में सहायक ग्रेड-3 को चपरासी बना दिया था. अब वही सख्ती बड़वानी में भी देखने को मिली है. इस कार्रवाई के बाद साफ हो गया है कि अब फाइलों में खेल नहीं चलेगा, वरना बाबू से चपरासी बनने में देर नहीं लगेगी.





















