छत्तीसगढ़राज्यराष्ट्रीय

ई कुबेर का चक्रव्यूह तोड़ने वाले पहले डी एफ ओ बने अशोक पटेल

  • ई-कुबेर से तंग डीएफओ ने नगद भुगतान हेतु बैंक को लिखा पत्र।
  • सालों से खाये-अघाये अधिकारियों को ई-भुगतान नही हो रहा हजम।
  • नरवा विकास का एक और मामला आया सामने

जगदलपुर। इन दिनों छत्तीसगढ़ मे मौजूद वन विभाग के किसी भी कार्यालय में पहुंचे तो वहां बातचीत का सबसे अहम विषय ई- कुबेर/ ई-भुगतान सिस्टम बना हुआ है। ई कुबेर भुगतान सिस्टम इन दिनों प्रदेश के तमाम वन अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। ई कुबेर के आने से वन विभाग के सालों से खाये अघाये अधिकारियों की आमदनी में एक बड़ा कुठाराघात हुआ है। इस भुगतान प्रणाली से उपजी एंजायटी को वन विभाग के किसी भी कार्यालय में महसूस किया जा सकता है। वनमंडलाधिकारियों से रेंज अफसरों के दफ्तरों की सबसे बड़ा दर्द ई-कुबेर बना हुआ है। विभाग के लोगों के द्वारा इसे रद्द कराने की जद्दोजहद अब भी जारी है। ई कुबेर से भुगतान की एंजायटी में फंसे एक वनमंडलाधिकारी ने लाइन तोड़कर इस नियम को धत्ता बताते हुए एक नए कारनामे को अंजाम देने में सफलता हासिल कर ली है। इस ऐतिहासिक पहल को अशोक पटेल वनमंडलाधिकारी सुकमा सामान्य वन मंडल ने अंजाम दिया है। विदित हो अशोक पटेल 2015 बैच के आईएफएस हैं। मामले में विशेष यह है कि राज्य कैंपा मद के तहत नरवा विकास के तहत एक करोड़ से 2 करोड़ के नाला कार्य स्वीकृत हुए थे। इस कार्य को पूर्ण किए बगैर राशि आहरण कर ली गई। इन मामलों की जानकारी होने पर शिकायतें की गई। इनमें से एक कार्य उनके बीजापुर डी एफ ओ रहते बरदेला नाला का है जिसमें 1.5 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। इस कार्य की संपूर्ण राशि कार्य पूर्ण होने से पहले निकाल ली गई। जब इसकी जांच हुई तो केवल 7 से 8 लाख का कार्य संपादन किया जाना पाया गया। इसी तर्ज पर अन्य 16 कार्यों को भी अंजाम दिये जाने की बात कही जा रही है। आरोप है कि, इन 16 कार्यों की स्वीकृत राशि भी इसी प्रकार आहरण कर ली गई।


इन तमाम मामलों को लेकर शेख करीम जो सामाजिक एवं आरटीआई कार्यकर्ता है उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर सचिवालय तक शिकायत की। इस शिकायत में डीएफओ अशोक पटेल के खिलाफ उपरोक्त मामले केअलावा एफडीए, आरडीबीएफ, अग्नि सुरक्षा, वन सुरक्षा, वन मार्ग मरम्मत, वृक्षारोपण, चतुर्थ से दसवें वर्ष मरम्मत कार्य के साथ कैंम्पा मद के नरवा विकास योजना के नालों, टैंको, डब्ल्यूबीएम सड़क, एएनआर सहित लेंटना आदि कार्यो की शिकायत भी प्रस्तुत की गई। शिकायत में डीएफओ अशोक पटेल के ऊपर सबसे महत्वपूर्ण आरोप यह लगाया गया कि उनके द्वारा सुकमा का चार्ज लेने के उपरांत संयुक्त प्रबंधन समितियां को नगद आहरण करने की अनुमति प्रदान की। उन्होंने अपने शिकायत पत्र में यह भी लिखा कि डीएफओ अशोक पटेल अपनी पद स्थापना से पूर्व के कार्य जिन्हें तत्कालीन डीएफओ ने नगद भुगतान के लिए नहीं रोका था कहीं उन कार्यों का नगद भुगतान भी तो सम्पन्न नही करा दिये। शिकायत पत्र के साथ डीएफओ अशोक पटेल द्वारा जारी एक पत्र क्रमांक/स.व.प्र./व.वि.अ./1429 सुकमा दिनांक 21/08/20240 को संलग्न किया गया है। इस पत्र में डीएफओ द्वारा शाखा प्रबंधक छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक शाखा सुकमा को राशि आहरण करने की अनुमति दी गई है। इस पत्र में लेख किया गया है कि महिला रोपणी गीदम समिति को राशि आहरण की अनुमति दी जाती है। इस पत्र में खाता क्रमांक 5054 051503 से 8 लाख 84 हजार 4 सौ रु आहरण की अनुमति दी गई। ई-भुगतान का नियम आने के उपरांत यह पत्र विधि विरुद्ध प्रतीत होता है। इन तमाम विषयों को संजो कर शेख करीम द्वारा सरकार को शिकायत भेजी गई।

  • शिकायत पर सी सी एफ आर सी दुग्गा ने जारी किया जांच आदेश
  • शिकायतकर्ता की मौजूदगी में संपन्न होगी जांच.

शेख करीम द्वारा प्रस्तुत शिकायत पर आर सी दुग्गा भावसे मुख्य वन संरक्षक जगदलपुर ने आदेश क्रमांक/निज सहायक/253 जगदलपुर दिनांक 05/12/2024 के माध्यम जांच दल गठन कर जांच आदेश पारित किया। इस जांच दल में वनमंडलाधिकारी वन मंडल जगदलपुर को जांच दल का अध्यक्ष बनाते हुए उप वनमंडलाधिकारी सुकमा को जांच दल का सदस्य एवं अभिलेख प्रस्तुतकर्ता बनाया गया। इसके अतिरिक्त उप प्रबंधक जगदलपुर वृत्त, उप वनमंडलाधिकारी अधिकारी चित्रकूट बस्तर वन मंडल जगदलपुर एवं उप वनमंडलाधिकारी आवापल्ली बीजापुर वन मंडल को जांच कमेटी का सदस्य बनाया गया। इस कमेटी का गठन कर आरसी दुग्गा ने लेख किया कि, जांच दल के अधिकारी शिकायत की जांच शिकायतकर्ता की उपस्थिति में संपन्न करें। शिकायतकर्ता की मौजूदगी में जांच किए जाने की बात को एक पारदर्शिता पूर्ण कार्यवाही के तौर पर देखा जा रहा है। शिकायतकर्ता की मौजूदगी में की जा रही जांच पर जानकारों का कहना है कि बड़ा मामला उजागर हो सकता है।

जांच दल को यह निर्देश दिया गया है कि, जांच में समस्त बयान, सुसंगत अभिलेखों को जांच प्रतिवेदन के साथ 15 दिवस में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें। यूं तो विभागों में ऐसे कई जांच के आदेश आते हैं और सालों तक मामले ठंडे बस्ते में ही पड़े रहते हैं परंतु यह जांच जल्द संपन्न होने की बात कही जा रही है। जांच जल्द संपन्न होने की संभावना के पीछे शिकायतकर्ता की मौजूदगी को वजह समझा जा रहा है। ई कुबेर में कथित सेंध को प्रशासन द्वारा संवेदनशीलता से लिया गया है और इसमें बड़ी कार्यवाही की उम्मीद जताई जा रही है।

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