बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर और सुकमा जिलों में 190 गांवों में क्रेडा (छत्तीसगढ़ राज्य नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण) से बिना अनुमति प्राप्त किए डीएमएफ (डिस्ट्रीक्ट मिनरल फंड) फंड के जरिए सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का मामला सामने आया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2021 से 2023 के बीच किया गया, और अब छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू कर दी है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने गुरुवार को अवकाश के दिन मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य के ऊर्जा सचिव से पूछा कि क्या इस तरह के काम के लिए कोई नियम-कानून मौजूद है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि बिना टेंडर और विभाग की जानकारी के इतना बड़ा काम कैसे किया गया, और कैसे बड़े सिस्टम को नजरअंदाज कर दिया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए चीफ जस्टिस ने सचिव से शपथ-पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
मामले में यह भी खुलासा हुआ कि इंडक्शन लैंप की कीमत तीन हजार रुपये थी, जबकि इसे पांच से छह हजार रुपये में खरीदा गया। इसी प्रकार, खंभों की खरीदारी भी तय कीमत से आठ से दस गुना ज्यादा कीमत पर की गई। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस पूरे काम में न तो ओपन टेंडर हुआ, न ही क्रेडा या अन्य संबंधित विभाग से अनुमति ली गई।