Mahakumbh IITian Baba: प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन किया गया है. इस मौके पर पूरी दुनिया से श्रद्धालु पूजा करने पहुंच रहे हैं. साथ ही संतों और अघोरी बाबाओं का भी तांता लगा है. इस बीच महाकुंभ से कई फोटो और वीडियो निकलकर सामने आ रहे हैं. ऐसे में एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें एक बाबा खुद को आईआईटी बॉम्बे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का पूर्व छात्र बताते नजर आ रहे हैं. वीडियो में उन्होंने साइंस और अध्यात्म को जोड़ा है.
स्वयंभू संत के इस वायरल वीडियो पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई है. हालांकि कुछ लोगों ने दावा किया कि ये बाबा कोई और नहीं बल्कि यह निशांत अग्रवाल हैं, जो आईआईटी-रोपड़ के पूर्व छात्र हैं, जो बाद में ब्रह्मोस में इंजीनियर बन गए. हालांकि उसने आईएसआई के लिए देश से गद्दारी करते हुए जासूसी का काम किया. जिसके लिए उन्हें दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.
वायरल वीडियो की सच्चाई
सोशल मीडिया पर इस वायरल वीडियो की जब जांच पड़ताल की गई तो यूजरों का यह दावा पूरी तरीके से गलत साबित हो गया. निशांत अग्रवाल और स्वयंभू संत के वीडियो को मैच किया गया, जिसमें दोनों को अलग पाया गया है. ये दोनों व्यक्ति एक नहीं है बल्कि अलग-अलग है. वहीं CNN-News18 से बात करते हुए अभय सिंह ने बताया कि उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एरोडायनामिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. जिसके बाद हमने इस नाम से सोशल मीडिया खंगालना शुरू किया, जिसमें हमें अभय सिंह नाम के फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट मिले. जिनमें साक्षात्कार में देखे गए एक ही व्यक्ति की कई तस्वीरें और वीडियो थे.
कौन है निशांत अग्रवाल?
फेसबुक प्रोफाइल के अनुसार अभय सिंह ने आईआईटी बॉम्बे के इंडस्ट्रियल डिज़ाइन सेंटर में विजुअल कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है. इस बात को हमने IDC से कंफर्म भी किया, जिसमें इसे सही बताया गया है. सिंह के फेसबुक प्रोफाइल पर 2025 में होने वाले दीक्षांत समारोह की तस्वीरें भी देखी जा सकती हैं. इन सभी तथ्यों से यह साबित होता है कि दोनों व्यक्ति अलग-अलग हैं और सोसल मीडिया पर किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है. अगर हम निशांत अग्रवाल की बात करें तो नागपुर की एक अदालत ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में पूर्व ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंजीनियर निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अग्रवाल को पहली बार 2018 में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद जून 2024 में आजीवन कारावास और 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी.