दिल्ली। भारत-पाक तनाव के बीच अब तुर्की और अजरबैजान को बड़ा झटका लग सकता है। इन दोनों देशों ने हाल ही में पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया और भारत द्वारा आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई की निंदा की। इसका सीधा असर इन देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर पड़ा है।
दरअसल, भारत ने कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने आक्रामक रवैया अपनाया, लेकिन भारत की सैन्य कार्रवाई को लेकर तुर्की और अजरबैजान ने आलोचनात्मक रुख अपनाया, जिससे भारतीय नागरिकों और व्यापारियों में रोष है।
ऑनलाइन यात्रा मंच जैसे ईज़माईट्रिप और इक्सिगो ने तुर्की और अजरबैजान की यात्रा के खिलाफ परामर्श जारी किया है। वहीं, साहिबाबाद फल मंडी के व्यापारियों ने साफ कहा है कि तुर्की से अब कोई फल नहीं खरीदा जाएगा। एक व्यापारी ने कहा, “पाकिस्तान का समर्थन करना, आतंकवाद का समर्थन करना है। ऐसे देशों से व्यापार करना देश के सम्मान के खिलाफ है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को मिसाइल और ड्रोन जैसी सैन्य तकनीक में मदद दी है। इसी वजह से भारत में ‘बॉयकॉट तुर्की-अजरबैजान’ कैंपेन जोर पकड़ रहा है।
हर साल भारत तुर्की से करीब 1200 से 1400 करोड़ रुपये के फल, खासकर सेब आयात करता है। लेकिन अब यह व्यापार पूरी तरह से बंद किया जाएगा। संगमरमर जैसे अन्य उत्पादों पर भी इसका असर पड़ेगा।
इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत अब राष्ट्रहित में कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हट रहा। तुर्की और अजरबैजान को भारत के बाजार में अपनी नीति की कीमत चुकानी पड़ सकती है।