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कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत पार्क वन परीक्षेत्र में हुए घोटालो का मास्टरमाइंड कौन?

कोरिया/रायपुर/दिल्ली। अब्दुल सलाम क़ादरी

  • जांच दबाने पार्क वन परीक्षेत्र अधिकारी ने एड़ी चोटी का जोर लगाया।

छत्तीसगढ़ के सरगुजा वृत्त वाइल्ड लाइफ के अंतर्गत आने वाले गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के सोनहत पार्क वन परिक्षेत्र में 2019 से 2024 तक करोणो रुपयो का घोटाला हो चुका है, कैम्पा का नरवा योजना हो या फिर फलदार वृक्षारोपण के नाम पर फर्जी पौधा ख़रीदी, ढुलाई और फर्जी मजदूरी भुगतान, डिप्टी डेंजर पार्क परिक्षेत्र सोनहत की एक लंबी फाइल बन चुकी है। जिसकी जांच अब होने की कवायद शुरू हो चुकी है। हमने इसकी बकायदा एक एक कार्यो की पड़ताल करते हुए जांच के लिए पीएमओं सहित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी पत्र दिया है। मामले को दर्ज कर लिया गया और अब इसकी जांच शुरू करने के लिए बाकायदा टीम गठित करके जांच करवाने की बात कही जा रही है।

  • पीएमओ कार्यालय से छत्तीसगढ़ शासन को पत्र जारी.
  • पीसीसीएफ श्रीनिवास राव के द्वारा अभी तक जांच के लिए कोई कवायद शुरू नही करना मामले को सन्देहास्पद बनाता है।

वही डिप्टी रेंजर पार्क सोनहत का कहना है कि मेरी जेब मंत्री मिनिस्टर विधायक मेरे वरिष्ठ अधिकारी और यहां तक कि पीसीसीएफ श्रीनिवासन राव को भी जेब मे रखता हुँ।
आरटीआई लगाकर इस परिक्षेत्र में हुए घोटाले की जानकारी मांगने पर सम्पादक को दूसरे व्यक्ति के माध्यम से जान से मरवाने और माँ बहन की गाली देने की भी रिकार्डिंग मौजदू है।

वन मंत्री केदार कश्यप के समक्ष भेजी गई शिकायत

हमने इसके पहले भी गुरु घासीदास में हो रहे घोटालो की खबर प्रकाशित की थी, उक्त ख़बर को लेकर वर्तमान सरकार ने जांच का भरोसा दिया था परंतु दबंग प्रभारी पार्क सोनहत के दबाव में विधायक भी आ चुके है, सूत्रों ने बताया की प्रभारी सोनहत पार्क अधिकारी के द्वारा लाखो रुपये मामले को दबाने के लिए बांटे जा रहे है. जो जांच का विषय है।

पूर्व में प्रकाशित ख़बर का कुछ भाग नीचे है……

छत्तीसगढ़ में सत्ता बदल गई है। कद्दावर मंत्री भी हार चुके हैं जिनके बलबूते कई विभागों में भ्रष्टाचार का खेल जमकर खेला गया। कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में भी इस तरह के कारनामे हुए हैं जिनमें वन महकमा प्रमुख है। सूबे के मुखिया रहे भूपेश बघेल के करीबी वनमंत्री मोहम्मद अकबर की धाक पर कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में तत्कालीन संचालक और उनके रेंजरों ने भ्रष्टाचार और घोटाले का ऐसा खेल खेला जिसकी गूंज आज भी जंगलों में सुनाई देती है।

पूर्व संचालक के इशारे पर कुछ रेंजरों, डिप्टी रेंजरों ने जंगल के विकास के लिए विभिन्न मदों में आने वाली राशि की जमकर बंदरबांट की।
इनमे प्रमुख तौर पर स्टाप डेम घोटाला हो या जंगल के भीतर सड़क निर्माण का मामला या फिर नरवा विकास की योजना हो या लेंटाना उन्मूलन करने की बात हो, इन सभी में जमकर भ्रष्टाचार हुए हैं। इन भ्रष्टाचारों को समय-समय पर प्रमुखता से उजागर भी किया गया है आरटीआई के माध्यम से भी जानकारी इकट्ठा की गई है।

निर्माण कार्यों में मजदूरी घोटाला, तालाब निर्माण में फर्जी कार्य, फर्जी मजदूरों के नाम से पैसा निकालने का मामला हो या मजदूरों के तौर पर अपने चहेतों के बच्चों के नाम से रुपए निकाल कर गबन करने की बात हो, या काम के बाद सालों से मजदूरी के लिए भटकाने का मामला, इन सब में तत्कालीन रेंजर, पूर्व संचालक डिप्टी संचालक अधिकारी के हाथ काफी गहरे तक धंसे हुए हैं।

सूबे में कांग्रेस सरकार और वन मंत्री का करीबी होने का पूरा-पूरा फायदा न सिर्फ पूर्व संचालक ने उठाया बल्कि राज्य में वन अधिकारी श्रीनिवास राव के साथ मिलकर निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार किया है। निर्माण सामग्रियों में गुणवत्ताहीन सामानों की खरीदी कराई गई। छत्तीसगढ़ के एक सप्लायर के लिए सांठगांठ कर बाजार में प्रचलित दाम से भी कम मूल्य पर निर्माण सामग्रियों की खरीदी होना दर्शाकर करोड़ों रुपए गबन किए गए। सामानों की डंपिंग हुए बगैर ही उसकी राशि निकाल दी गई, घटिया सीमेंट का घोटाला भी वन मंत्री और राव के संरक्षण में पूर्व संचालक और प्रभारी पार्क रेंजर सोनहत, कमर्जी, रामगढ़ और पूर्व उपसंचालक श्री सिंहदेव  ने किया। यहां तक की निर्माण कार्य में सप्लायरों, पौधा सप्लाई आदि की परिवहन की राशि को भी गबन कर लिया गया और इसका भुगतान करने के एवज में 40 से 60% तक की मांग रखी गई।
यह सारे मामले 2019 से 2023 के बीच खेला गया है । तबादले के बाद संचालक बनकर आए वर्तमान संचालक ने भी मामले को दबाने में कोई कसर नही छोड़ी। वर्तमान संचालक ने भी इन सभी मामलों और घोटालों की फाइल को कोई तवज्जो नहीं दी। नतीजा या रहा कि गुरु घासीदास उद्यान में जंगल राज कायम रहा। कुछ लोगों ने तो घोटालों की आड़ में RTI लगाकर अपने मतलब भी साध लिए और रेंजर से लेकर अधिकारी ब्लैकमेल तक होते रहे पर बोलें भी तो किस मुंह से जब खुद ही भ्रष्टाचार के दलदल में समाए रहे। एक रेंजर सहित कई अधिकारियों और कर्मचारियों पर तो मनरेगा और कैंपा में करोड़ों की रिकवरी हो सकती है लेकिन ना तो जाँच हो रही है ना तो एफआईआर हो रही और ना रिकवरी। जांच पर कार्रवाई दिखाने के नाम पर निलंबन तो एक सामान्य प्रक्रिया है।

 

  • पार्क वन परीक्षेत्र सोनहत में फलदार प्लान्टेशनो में करोड़ों की हेरा फेरी? अगली खबर जल्द आपके सामने

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