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September 16, 2024
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कौन हैं SEBI चीफ माधबी पुरी बुच, Hindenburg Research में क्या-क्या किया गया है दावा?

Hindenburg Research: अमेरिका की शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने नया दावा किया है कि SEBI चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी ग्रुप के वित्तीय गड़बड़ियों से जुड़ी ऑफश्योर संस्थाओं में हिस्सेदारी है. हिंडनबर्ग रिसर्च का आरोप है कि जिन संदिग्ध ऑफश्योर संस्थाओं में माधवी और धवल बुच की हिस्सेदारी है, उनका यूज अडानी ग्रुप के मालिकाना हक वाली कंपनियों के शेयरों को आर्टिफिशियल रूप से बढ़ाने के लिए किया गया था. हालांकि, हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को माधबी पुरी और धवल बुच ने खारिज कर दिया है. माधबी पुरी बुच SEBI का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं. माधबी, अप्रैल 2017 से पूर्व अध्यक्ष अजय त्यागी के साथ सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम कर रही हैं.

1966 में कमल पुरी और उनकी पत्नी के घर माधबी पुरी का जन्म हुआ था. कमल पुरी कॉर्पोरेट में काम करते थे, जबकि माधबी की मां पॉलिटिकल साइंस में डॉक्टरेट की थीं. माधबी पुरी की मात्र 18 साल की उम्र में धवल बुच  से सगाई हो गई थी. उस वक्त धवल बुच FMCG मल्टीनेशनल कंपनी यूनिलीवर में डायरेक्टर थे. करीब तीन साल बाद दोनों की शादी हुई.

26/11 मुंबई आतंकी हमलों में जीवित लोगों में से एक हैं माधबी

माधबी बुच ने शुरुआती पढ़ाई मुंबई के फोर्ट कॉन्वेंट और दिल्ली की कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल से की है, जबकि बाद में उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से मैथ्स में ग्रेजुएशन किया. फिर आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किया.  माधबी पुरी बुच 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों में जिंदा बचे लोगों में से एक हैं. जब आतंकियों ने मुंबई के ताज पैलेस पर हमला किया था, तब माधबी पुरी अपने पति धवल बुच के साथ ताज पैलेस में ही थीं. उस दौरान धवल बुच यूनिलीवर की एक बैठक में शामिल होने के लिए वहां मौजूद थे.

1989 में ICICI बैंक से की करियर की शुरुआत

माधबी पुरी बुच ने अपने करियर की शुरुआत 1989 में ICICI बैंक से की थी. इसके बाद उन्होंने दो साल यानी 1993 से 1995 तक इंग्लैंड के वेस्ट चेशायर कॉलेज में बतौर लेक्चरर काम किया. 1989 से लेकर करीब 12 साल तक माधबी पुरी ने सेल्स, मार्केटिंग और प्रोडक्ट डेवलपमेंट के तौर पर अलग-अलग कंपनियों में काम किया. उन्होंने कुछ कंपनियों में ऑपरेशनल फंक्शन्ल को भी लीड किया.

2006 में एक बार फिर माधबी ICICI से जुड़ीं. करीब तीन साल बाद यानी फरवरी 2009 में वे ICICI की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ बनी. इस पोस्ट पर वे मई 2011 तक रहीं. ICICI छोड़ने से बाद माधवी ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल ज्वाइन कर लिया. उन्होंने 2017 तक ज़ेनसार टेक्नोलॉजीज, इनोवेन कैपिटल और मैक्स हेल्थकेयर जैसी कई कंपनियों के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम किया. इंडियन स्कूल ऑफ डेवलपमेंट मैनेजमेंट और न्यू डेवलपमेंट बैंक (ब्रिक्स बैंक) में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं.

अप्रैल 2017 में बनाया गया सेबी का चेयरपर्सन

माधबी पुरी बुच को अप्रैल 2017 में सेबी का चेयरपर्सन बनाया गया. उन्हें सामूहिक निवेश योजनाओं, निगरानी और निवेश प्रबंधन जैसे विभागों का प्रभार दिया गया. चेयरपर्सन के रूप में जब उनका कार्यकाल खत्म हुआ, तो उन्हें सेबी की इन-हाउस टेक्निकल सिस्टम को डिजाइन करने में मदद करने के लिए बनाए गए 7 सदस्यीय टेक्नोलॉजी कमेटी में शामिल किया गया. 1 मार्च 2022 को माधबी को 3 साल के लिए सेबी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

हिंडनबर्ग रिसर्च में माधबी पुरी बुच को लेकर क्या है दावा

हिंडनबर्ग रिसर्च के मुताबिक, 22 मार्च 2017 को को माधबी पुरी बुच की नियुक्ति से कुछ ही सप्ताह पहले, उनके पति धवल बुच ने मॉरीशस के फंड प्रशासक ट्राइडेंट ट्रस्ट को एक चिट्ठी लिखी. हिंडनबर्ग रिसर्च के मुताबिक, जैसा कि हमें एक व्हिसलब्लोअर से मिले डॉक्यूमेंट्स दस्तावेजों से पता चलता है. ये ईमेल उनके और उनकी पत्नी के ग्लोबल डायनेमिक ऑपर्च्युनिटीज फंड में निवेश के बारे में था.

चिट्ठी में धवल बुच ने अनुरोध किया था कि वे बैंक अकाउंट्स को संचालित करने के लिए एकमात्र अधिकृत व्यक्ति बनें, जिससे राजनीतिक रूप से संवेदनशील नियुक्ति से पहले उनकी पत्नी के नाम से संपत्ति ट्रांसफर हो सके.

अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक माधबी पुरी के पास एक ऑफशोर सिंगापुरी कंसल्टिंग फर्म में 100% हिस्सेदारी थी, जिसे अगोरा पार्टनर्स कहा जाता था.

मार्च 2022 को, सेबी अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद, उन्होंने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर कर दिए. 27 मार्च 2013 को अगोरा पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड को सिंगापुर में रजिस्टर्ड किया गया था. सिंगापुर डायरेक्टर सर्च के अनुसार, अगोरा प्राइवेट लिमिटेड खुद को बिजनेस और मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में बताता है. उस समय, कंपनी के 2014 सालाना रिटर्न के अनुसार, माधबी बुच को 100% शेयरधारक के रूप में प्रकट किया गया था.

सिंगापुर के रिकॉर्ड के अनुसार, बुच 16 मार्च 2022 तक अगोरा पार्टनर्स की 100% शेयरधारक बनी रहीं. माधबी बुच के पास वर्तमान में अगोरा एडवाइजरी नाम की एक भारतीय परामर्श व्यवसाय में 99% हिस्सेदारी है, जहां उनके पति धवल बुच डायरेक्टर हैं. 2022 में इस संस्था ने कंसल्टिंग से $261,000 का रेवेन्यू जुटाया, जो सेबी में माधवी की सैलरी का 4.4 गुना है. अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना भारत में 7 मई, 2013 को की गई.

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