10.1 C
New York
October 15, 2024
BBC LIVE
BBC LIVEtop newsदिल्ली एनसीआरराष्ट्रीय

हाई कोर्ट का फैसला : बच्चे के सामने सेक्स करना POCSO का अपराध, नंगा होना माना जाएगा यौन उत्पीड़न के बराबर

केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी नाबालिग के सामने नग्न होकर सेक्स करना POCSO के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। हाई कोर्ट ने कहा है कि इस अपराध में सजा भी दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक ऐसे मामले की सुनवाई करते हुए की है जहाँ नाबालिग ने अपनी माँ और एक अन्य व्यक्ति को सेक्स करते हुए देख लिया था।

इस मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट के जस्टिस ए बदरुद्दीन ने POCSO एक्ट की धारा 11(i) और 12 का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “स्पष्ट रूप से कहें तो, जब कोई व्यक्ति बच्चे को नग्न शरीर दिखाता है, तो यह बच्चे का यौन उत्पीड़न करने के इरादे से किया गया काम है और इसलिए यह POCSO की धारा 11(i) के साथ 12 के तहत दंडनीय अपराध होगा।”

कोर्ट ने आगे कहा, “इस मामले में आरोप है कि आरोपितों ने कमरे को बंद किए बिना ही नग्न होकर संबंध बनाए और नाबालिग को कमरे में घुसने दिया ताकि वह यह सब देख पाए। ऐसे में प्रथम दृष्टया, इस मामले में POCSO अधिनियम की धारा 11(i) के साथ धारा 12 के तहत दंडनीय अपराध करने का आरोप बनता है।”

केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आरोपित पुरुष को नाबालिग के साथ मारपीट का आरोपित माना लेकिन उसे किशोर न्याय अधिनियम की धाराओं में छूट दे दी। नाबालिग के साथ दुर्व्यवहार वाले इस मामले में नाबालिग की माँ को हाई कोर्ट ने आरोपित माना है। नाबालिग की माँ के विरुद्ध POCSO के अलावा इस धारा में भी मामला चलाया जाएगा।

क्या था मामला?

मामले में महिला और उसके साथी पुरुष पर आरोप है कि उन्होंने 8 अगस्त, 2021 को तिरुवनंतपुरम के एक लॉज में नग्न हो कर किया और इस दौरान दरवाजा खुला रहने दिया जिसे महिला के 16 वर्षीय बेटे ने देख लिया। महिला ने अपने बेटे को इससे पहले कुछ सामान लेने भेज दिया था।

जब वह वापस आया तो उसने माँ को व्यक्ति के साथ नग्न आपत्तिजनक हालत में देखा। उसने जब इस संबंध में प्रश्न खड़े किए तो महिला के पुरुष साथी ने नाबालिग को धमकाया और उसको पीटा भी। महिला के साथी ने उसके बेटे को थप्पड़ मारा, गर्दन से पकड़ा और लात भी मारी। इससे नाबालिग की माँ ने भी नहीं रोका।

इस घटना के चलते महिला और उसके पुरुष मित्र पर POCSO, किशोर न्याय अधिनियम समेत IPC की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। यह मामला तिरुवनंतपुरम के ईस्ट फोर्ट थाने में दर्ज हुआ था। कार्रवाई से बचने के लिए पुरुष आरोपित ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी।

आरोपित पुरुष ने माँग की थी कि हाई कोर्ट इस मामले में सारी कार्रवाई को रद्द कर दे। हालाँकि, कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपित पुरुष को पूरी राहत देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने आरोपित पुरुष के खिलाफ IPC 294(बB), 341 के और 34 के साथ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत कार्रवाई को रद्द कर दिया। हाई कोर्ट ने आरोपित पुरुष के खिलाफ IPC 323 के साथ 34 और POCSO के तहत मामला चलाने का आदेश दिया है।

Related posts

दिल्ली को हिमाचल प्रदेश से मिलेगा अतिरिक्त पानी, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश

bbc_live

कांग्रेस-आप में सीटों के बंटवारे पर हुआ समझौता, लेकिन पंजाब में नहीं बनी बात, सिर्फ दिल्ली में AAP को मिली ज्यादा सीटें

bbc_live

कोरिया जिले के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में हुए घोटालों की फाईल खुली, मुख्यमंत्री देंगे जांच के आदेश..

bbcliveadmin

Leave a Comment

error: Content is protected !!