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October 23, 2024
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CG News : चावल घोटाले के बाद जेल में अब दाल की निविदा में खेल, अनाज कारोबारियों ने जेल प्रशासन के साथ नेफेड के खिलाफ खोला मोर्चा

रायपुर। प्रदेश के जेलों में हुए चावल घोटाले के बाद अब दाल की निविदा में खेल की तैयारी चल रही है। इसे लेकर अनाज कारोबारियों ने जेल प्रशासन के साथ नेफेड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

कारोबारियों का कहना है कि, फोर्टिफाइड चावल को लेकर निकाली गई निविदा की शिकायत केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से की गई है। अब दाल की निविदा में कड़े नियम-शर्तें लागू कर बाहरी कारोबारियों को उपकृत करने की कोशिश हो रही है, ताकि स्थानीय राइस मिलरों और अनाज कारोबारियों को निविदा से बाहर किया जा सके। इसे लेकर अनाज कारोबारियों में काफी आक्रोश हैं।

अनाज कारोबारियों ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) के स्थानीय मैनेजर की भूमिका पर सवाल उठाए हैं औरगड़बड़ी का आशंका पर जांच की मांग की है। जानकारी के अनुसार, प्रदेश में खरीदी के बाद चना और मसूर को मिलिंग के लिए कारोबारियों को दिया जाता है। इसे दाल बनाने के एवज में 800 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाता है। इसके लिए 23 अक्टूबर को टेंडर जारी करने की कवायद चल रही है। बताया जाता
है कि मिलिंग के बाद दाल को केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे भारत दाल के रूप में कम कीमत पर आम नागरिकों को बेचा जाएगा। इससे पहले भी कैदियों को दिए जाने वाले चावल को लेकर घोटाले का आरोप अनाज कारोबारियों ने अधिकारियों पर लगाया था।

नेफेड करोबारियों को करना पड़ा था अनुबंध निरस्त

नेफेड की ओर से निम्न स्तर के चावल की ऊंची दर पर जेलों में आपूर्ति कर लाखों का घोटाला करने की शिकायत मुख्यमंत्री, गृहमंत्री तक पहुंची। इसके बाद इसके जिम्मेदार संविदा अफसर को हटाया गया। अगस्त में नेफेड का अनुबंध भी निरस्त कर कारोबारियों को फिर से निविदा के जरिये चावल आपूर्ति करने कहा गया। अब दाल की आपूर्ति के लिए नए नियम-शर्तों के साथ निकाली गई निविदा में नेफेड को लाभ पहुंचाने का मामला सामने आने के बाद जेल मुख्यालय में हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि चर्चा है कि कारोबारियों के भारी विरोध के बाद दाल आपूर्ति की निविदा को रद किया जा सकता है।

चावल आपूर्ति में अधिकारियों लगाया था यह आरोप

गौरतलब है कि, प्रदेशभर के जेलों में कैदियों को खाने के लिए चावल की आपूर्ति का काम लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के बीच नेफेड को दे दिया गया था। इस दौरान अनाज कारोबारियों ने अधिकारियों पर लाखों का घोटाला करने का आरोप लगाया था। कारोबारियों का कहना था कि कम दरों पर राशन की आपूर्ति करने के बाद भी जेल प्रशासन ने अचानक से उनकी आपूर्ति रोककर नेफेड से राशन आपूर्ति का अनुबंध कर लिया था।

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