BBC LIVE
BBC LIVEtop newsधर्मराष्ट्रीय

Naked Naga Sadhu: निर्वस्त्र क्यों रहते हैं नागा साधु, जानें महिला नागा साधुओं के नियम

Naked Naga Sadhu: सनातन धर्म में नागा साधुओं की परंपरा बेहद प्राचीन है. उनका निर्वस्त्र रहना एक गहरी आध्यात्मिक और प्रतीकात्मक प्रक्रिया है.

नागा साधु निर्वस्त्र रहकर यह संदेश देते हैं कि उन्होंने भौतिक संसार और उसकी सभी इच्छाओं और आसक्तियों को त्याग दिया है. यह उनके संन्यास का सबसे बड़ा प्रतीक है जो उन्हें सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है. ये दिखाता है कि मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति के साथ पूर्ण रूप से जुड़ा हुआ है और वस्त्र जैसे सांसारिक तत्वों की आवश्यकता नहीं है.

नागा साधु यह मानते हैं कि वे ईश्वर की संतान हैं और उन्हें कोई अन्य आवरण या सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है. उनका निर्वस्त्र रहना इस बात का संकेत है कि वे केवल ईश्वर पर निर्भर हैं.

निर्वस्त्र रहकर नागा साधु अपनी कठोर तपस्या और वैराग्य को व्यक्त करते हैं. निर्वस्त्र होकर नागा साधु समाज के नियमों और मान्यताओं को भी एक तरह की चुनौती देते हैं, जो बताता है कि वे सांसारिक भय, लज्जा या शर्म से मुक्त हो चुके हैं.

महिला नागा साधुओं के नियम

  • महिला नागा साधु सनातन धर्म की साधु परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. नागा साधुओं की तरह, महिला नागा साध्वी भी कठोर तपस्या और वैराग्य के मार्ग पर चलती हैं. हालांकि, उनकी साधना और जीवनशैली में कुछ विशेष नियम और परंपराएं होती हैं, जो उनकी स्थिति और सामाजिक संरचना के अनुसार निर्धारित होती हैं.
  • महिला नागा साध्वियों को भी पुरुष नागा साधुओं की तरह कठोर दीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. दीक्षा के समय, वे सांसारिक जीवन के सभी बंधनों और रिश्तों को त्याग देती हैं. उनका सिर मुंडन किया जाता है और उन्हें क्षोर कर्म प्रक्रिया के तहत नए जीवन की शुरुआत करनी होती है. इन्हे भी सांसारिक वस्त्रों और आभूषणों का त्याग करना पड़ता है. वे केवल एक साधारण भगवा वस्त्र धारण करती हैं, और उनके जीवन में सादगी और तपस्या का पालन करना आवश्यक है.
  • महिला नागा साध्वियों के लिए ब्रह्मचर्य का कठोरता से पालन अनिवार्य होता है. वे अपने जीवन को आध्यात्मिक साधना, तपस्या, और ध्यान में समर्पित करती हैं. महिला नागा साध्वी भी कठिन और कठोर जीवनशैली अपनाती हैं. उन्हें जंगलों, पहाड़ों, और कंदराओं में रहकर तपस्या करनी होती है. भोजन, नींद, और अन्य आवश्यकताओं में भी वे न्यूनतम और साधारण जीवन जीती हैं.
  • कुंभ मेले और अन्य धार्मिक आयोजनों में महिला नागा साध्वियों की भागीदारी महत्वपूर्ण होती है. वे अपने अखाड़े के झंडे के साथ जुलूसों में हिस्सा लेती हैं और शाही स्नान भी करती हैं और अपने अखाड़े के नियमों और आदेशों का पालन करती हैं.

नागा साधुओं की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. उन्होंने हमेशा अपने आप को योद्धा साधु के रूप में प्रस्तुत किया है. निर्वस्त्र रहना उनके लिए एक ऐसा कवच है, जो उन्हें सांसारिक झूठ और दिखावे से बचाता है. नागा साधुओं का निर्वस्त्र रहना केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि उनके जीवन के गहरे दर्शन और तपस्या का हिस्सा है. यह त्याग, साधना, और ईश्वर के प्रति उनकी अटूट भक्ति का प्रतीक है. इस प्रक्रिया में वे भौतिकता को त्यागकर आध्यात्मिकता की ओर अग्रसर होते हैं और अपने जीवन को एक उच्च उद्देश्य के लिए समर्पित करते हैं.

Related posts

आदमखोर पैंथर का आतंक, 12 दिन में 8 की ली जान, अब जारी हुआ गोली मारने का आदेश

bbc_live

RCB Vs KKR: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने KKR को दिया 183 रनों का लक्ष्य, विराट कोहली ने खेली तूफानी पारी

bbc_live

अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर वापस रायपुर जेल में होंगे शिफ्ट, हाईकोर्ट में की थी अपील…..

bbc_live

Leave a Comment

error: Content is protected !!