रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव ने हाल ही में पार्टी के खराब चुनावी प्रदर्शन पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कई कमियां हैं, जिनका आकलन करना और सुधारना आवश्यक है। उनका मानना है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता कमजोर तरीके से काम कर रहे हैं और पार्टी का स्वरूप कैडर बेस्ड नहीं है, जैसा बीजेपी और अन्य पार्टियों में है। सिंहदेव ने यह भी कहा कि बीजेपी में लगातार मीटिंग्स हो रही हैं और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रूप से दौड़ाया जा रहा है, जबकि कांग्रेस में ऐसा प्रयास कम दिखाई देता है।
कांग्रेस के खराब प्रदर्शन पर सिंहदेव की चिंता
सिंहदेव ने चुनावी परिणामों पर बात करते हुए सवाल किया, “हम 72 सीटों से 35 सीटों पर क्यों आ गए?” उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों में भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी, लेकिन वहां भी सफलता नहीं मिल पाई। उनके अनुसार, कांग्रेस को अपनी संगठनात्मक स्थिति को लेकर गंभीर समीक्षा करनी होगी और इसे सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस में वह कैडर नहीं है जो बीजेपी में है, और पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को अधिक संगठित और सक्रिय बनाने की जरूरत है।
भाजपा पर ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ के आरोप और कानून की आवश्यकता
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर द्वारा कांग्रेस पर हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगाने के बाद, सिंहदेव ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप है, तो इसे व्यापक रूप से देखा जाना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर नगरीय निकाय चुनावों में हॉर्स ट्रेडिंग का डर है, तो प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के चुनावों में भी ऐसा हो सकता है।” इसके साथ ही, उन्होंने ऑपरेशन लोटस जैसी घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त की और इस पर सख्त कानून बनाने की आवश्यकता बताई। उनका कहना था कि यदि कोई नेता दूसरी पार्टी में शिफ्ट करता है, तो उसे एक निश्चित समय तक चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।
निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर असमंजस
सिंहदेव ने निकाय चुनावों में आरक्षण की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि आरक्षण के मुद्दे पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। ओबीसी और एससी सीटों का आरक्षण तय नहीं हो सका है, और इसके आधार पर ही प्रत्याशी चयन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जैसे ही आरक्षण तय हो जाएगा, पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकेगी।
धान खरीदी में समस्याओं पर भी उठाए सवाल
सिंहदेव ने धान खरीदी को लेकर भी कई समस्याएं उठाईं। उन्होंने कहा कि एकमुश्त राशि किसानों को नहीं दी जा रही है, और धान की खरीदी में बोरों और टोकन की भी समस्याएं आ रही हैं। इसके अलावा, वन अधिकार पत्र के तहत किसानों का धान नहीं लिया जा रहा है। उनका कहना था कि अभी तक केवल 15 प्रतिशत धान की खरीदी हो पाई है, और इस प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है।