रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (HNLU), में आज एआई, एंड ह्यूमन राइट्स” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इसके संविधान श्रृंखला 75 और सीजी-लर्न के भाग के रूप में मेजबानी करके अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया। इसमें मीडिया प्रणालियों के साथ एआई के अभिसरण और मानवाधिकारों के लिए इसके निहितार्थ को समझा गया।
मीडिया में एआई के नैतिक और मानवाधिकार निहितार्थों पर चर्चा में अधिकारियों, पत्रकारों, शिक्षाविदों और जन संचार और विधि के छात्रों को शामिल करने के लिए कार्यशाला में तीन विषयगत सत्र डिजाइन किए गए थे। समसामयिक चुनौतियों और संवैधानिक मूल्यों से जुड़ने के एचएनएलयू के मिशन की पृष्ठभूमि में आयोजित कार्यशाला ने मीडिया और संचार में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता और नैतिक चुनौतियों के संवाद, सीखने और अभिनव अन्वेषण के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया।
कार्यशाला का आरंभ प्रथम सत्र “विनिर्माण सहमति: एआई-संचालित प्रवर्धन,” विषय पर प्रो डॉ वी सी विवेकानंदन, कुलपति एचएनएलयू के नेतृत्व में हुआ। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया सिर्फ ऐसी प्रौद्योगिकियां हैं जो बातचीत को सुविधाजनक बनाती हैं। एआई सिस्टम को कुछ परिणामों के अनुकूलन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसे सनसनीखेज या ध्रुवीकरण वाली सामग्री को प्राथमिकता देने के लिए भी लगाया जा सकता है। इस संदर्भ में एआई की भूमिका एल्गोरिदमिक रूप से उस सामग्री को बढ़ावा देना है जो सबसे अधिक जुड़ाव उत्पन्न करती है, हालांकि, इसमें गलत सूचना, प्रतिध्वनि कक्ष और विविध आख्यानों को बढ़ाने की क्षमता है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।”
इसके बाद दूसरे सत्र का संचालन श्री जॉन जोसेफ, टाइम्स ऑफ इंडिया में पूर्व समन्वयक संपादक, रायपुर द्वारा “एआई-संचालित पत्रकारिता: नैतिक रिपोर्टिंग के साथ नवाचार को संतुलित करना,”विषय पर किया गया। सत्र ने रिपोर्टिंग में सटीकता, निष्पक्षता और नैतिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एआई और मानव निर्णय के बीच संतुलित साझेदारी के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि एक के मामले में एआई-जनित जानकारी जवाबदेही बनाए रखने के लिए स्पष्ट लेबलिंग होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “एआई हर उद्योग और क्षेत्र को बदल सकता है। इसलिए नैतिकता और पारदर्शिता महत्वपूर्ण है. एआई प्रक्रियाओं के केंद्र में मनुष्य हैं। इस प्रकार, प्रौद्योगिकी को मानवता की सेवा करनी चाहिए-इसके विपरीत नहीं।”
अंतिम सत्र, “डीप फेक एंड मीडिया मैनीपुलेशन,” विषय पर डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, एचएनएलयू में स्कूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस के निदेशक द्वारा किया गया । उन्होंने कहा, “डीपफेक मीडिया हेरफेर की व्यापक घटना में योगदान देता है। सोशल मीडिया की वायरल प्रकृति के साथ मिलकर इस तकनीक ने दुष्प्रचार का तूफान खड़ा कर दिया है। इसलिए, जनता को उनके द्वारा उपभोग की जाने वाली मीडिया सामग्री के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।”
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सरकार के विभिन्न विभागों के जनसंपर्क अधिकारी, मीडिया कर्मी, एएएफटी यूनिवर्सिटी ऑफ मीडिया एंड आर्ट्स के संकाय सदस्य और देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र उपस्थित थे।
बता दें कि, इस कार्यशाला में पहले डॉ किरण कोरी, एचएनएलयू में विधि एवं मानवाधिकार केंद्र के प्रमुख द्वारा सभा का स्वागत किया गया। वहीं इस कार्यशाला का संचालन गरिमा पनवार और अभिनव के शुक्ला एचएनएलयू के संकाय सदस्य द्वारा डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में किया गया। यह कार्यक्रम एचएनएलयू के सेंटर फॉर लॉ एंड गवर्नेंस, सेंटर फॉर इनोवेशन एंड आईपी और सेंटर फॉर लॉ एंड ह्यूमन राइट्स द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।