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January 9, 2025
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कोरोना की तरह रूप बदल रहा HMPV वायरस, म्यूटेट होकर बन जाएगा खतरनाक?

HMPV वायरस के केस हर दिन आने लगे हैं. महाराष्ट्र में बुधवार को तीसरा केस मिला. मुंबई के पवई स्थित हीरानंदानी अस्पताल में 6 महीने की बच्ची संक्रमित मिली है. इस वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है. दुनिया के कई देशों में हालात गंभीर बन गए हैं. चीन के कई शहरों में लॉकडाउन जैसी स्थिति बन गई है.

भारत में HMPV का पहला केस 2003 में पुणे के बीजे मेडिकल कॉलेज में एक बच्चे में पाया गया था, और उसके बाद से यह वायरस देश में सक्रिय है. HMPV एक पुराना वायरस है जिसकी पहचान इंसानों में पहली बार 2001 में हुई थी. इसके बाद से यह वायरस कई देशों में फैल चुका है और समय-समय पर इसके मामले सामने आते रहते हैं. भारत में पिछले साल, एम्स में हुई एक रिसर्च में यह पाया गया था कि करीब 4 प्रतिशत मरीजों में HMPV मौजूद था. हालांकि, यह कोई नया वायरस नहीं है, लेकिन इस बार इसके मामलों में अचानक बढ़ोतरी ने वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है.

वायरस में हो रहा कुछ बदलाव? 

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पीडियाट्रिक विभाग के पूर्व सीनियर रेजिडेंट डॉ. राकेश कुमार बागड़ी के अनुसार, HMPV के कुछ मामले पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इतनी संख्या में इसके मामले पहली बार रिपोर्ट हो रहे हैं. इस समय खांसी और जुकाम के लक्षणों के साथ जो बच्चे अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, उनके सैंपल लेकर एचएमपीवी की जांच की जा रही है और उनमें से कुछ बच्चे पॉजिटिव पाए जा रहे हैं.  इस अचानक बढ़े हुए आंकड़ों को देखकर यह आशंका जताई जा रही है कि वायरस में कुछ बदलाव हो सकते हैं.

वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस ने अपनी संरचना में म्यूटेशन (विकृति) किया हो सकता है, जिसके कारण यह पहले की तुलना में अधिक तेजी से फैलने लगा है. ऐसा ही कुछ कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के साथ भी हुआ था, जिसने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी.  हालांकि, अभी तक यह पुष्टि नहीं हुई है कि HMPV में कोई म्यूटेशन हुआ है या नहीं, और इसके लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

HMPV के लक्षण और उपचार

HMPV के संक्रमण के मुख्य लक्षणों में खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश, और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं. यह वायरस आमतौर पर बच्चों और बुजुर्गों को अधिक प्रभावित करता है, क्योंकि इन दोनों वर्गों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. वायरस का फैलाव हवा के माध्यम से होता है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से पहुंच सकता है.

इस वायरस का कोई ठोस उपचार नहीं है और इसका इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को नियंत्रण में रखने पर आधारित होता है. मरीजों को आराम, पर्याप्त पानी और बुखार नियंत्रण के लिए दवाइयां दी जाती हैं. गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है, खासकर जब वायरस सांस की नली को प्रभावित करता है.

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