हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक प्रकरण पर सुनवाई करते हुए भरण-पोषण कल्याण अधिकरण का आदेश कोरम के अभाव में स्थगित कर दिया। इसके साथ ही अधिकरण से जवाब-तलब किया गया है।
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक़ याचिकाकर्ता चंद्रकांता गहवई एवं छोटेलाल गहवई ने अपनी बहू तनुजा श्रीवास्तव के विरुद्ध माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 के तहत निष्कासन का मामला अधिकरण के समक्ष प्रस्तुत किया। नियमानुसार अधिनियम 2007 की धारा 7 एवं छ.ग शासन द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 24.01.2009 के तहत अधिकरण में 5 लोगों के कोरम द्वारा आदेश पारित करना होता, जिसमें एक अध्यक्ष जो कि अनुविभागीय अधिकारी होता है, तीन सदस्य एवं एक समन्वयक, लेकिन बिलासपुर भरण पोषण और कल्याण अधिकरण में केवल अनुविभागीय अधिकारी (रा) द्वारा सम्पूर्ण कार्यवाही की गई।
इस तरह प्रकरण को बिना कोरम नियम विरुद्ध कार्यवाही करते हुये प्रकरण को नस्तीबद्ध करने से व्यथित वरिष्ठ नागरिक याचिकाकर्तागण ने अधिवक्ता सुनील सोनी के माध्यम से हाईकोर्ट की शरण ली। जिसपर हाईकोर्ट के जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए पाया कि, अनुविभागीय अधिकारी (रा) बिलासपुर ने अकेले ही आदेश कर दिया। यह धारा 7 एवं अधिसूचना 24.1.2009 का उल्लंघन है। इसके साथ ही पारित आदेश का प्रभाव स्थगित करते हुये जवाब तलब किया गया है।