April 28, 2025
Uncategorized

चैम्स प्रणाली से किसानों को दोहरा लाभ,अधिकतम मूल्य निर्धारण के साथ मोलभाव का अवसर भी

० किसानों की संतुष्टि के बाद ही बीज निगम निर्माता कंपनियों को कृषक अंश राशि का भुगतान करता है

रायपुर। कृषि विभाग में लागू चैम्स प्रणाली किसानों के लिए काफी लाभदायी साबित हो रहा है। किसान ट्रैक्टर और कृषि यंत्र बनाने वाली कंपनियों से मोलभाव कर अपनी पसंद के उपकरण न्यूनतम दर पर खरीद रहे हैं। गुजरात पैटर्न पर छत्तीसगढ़ में लागू चैम्प प्रणाली में छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम टैक्टर और अन्य कृषि उपकरणों की अधिकतम खुदरा कीमत तय कर देता है। कंपनियां निर्धारित कीमत से अधिक मूल्य किसानों से नहीं ले सकती। पूरी प्रणाली पारदर्शी होती है और निर्माता कंपनियों हर मॉडल की कीमतें (एमआरपी ) तय होती है। किसान अपनी सुविधा और इच्छानुसार कोई भी मॉडल खरीद सकता है। ट्रैक्टर और उपकरणों के अधिकतम मूल्य तय होने के कारण कंपनियां किसानों से ज्यादा राशि नहीं ले सकते, पर किसान कंपनियों से बार्गेनिंग कर रेट कम करवा लेते हैं।

छत्तीसगढ़ में 2017-2018 से चैम्स लागू है। राज्य में चैम्स लागू होने के बाद 2021-2022 में ट्रैक्टर, स्प्रिंकलर और अन्य उपकरणों के दामों के रेट में संशोधन किया गया था, उसी दर पर अभी किसानों को कंपनियां सामानों की सप्लाई कर रही हैं। इसके लावा कंपनियां जब भी नया प्रोडक्ट लांच करती है तो वे किसानों को एमआरपी पर ही सप्लाई करती हैं। चैम्स प्रणाली में पूरा सिस्टम ऑनलाइन है। इस प्रणाली में कृषि उपकरण व ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनियों का पंजीयन होता है। पंजीकृत कंपनियों को किसान ट्रैक्टर या दूसरे सामान सप्लाई करने के लिए सीधे आवेदन करते हैं । इसके बाद कंपनियां सभी दस्तावेजों के साथ किसानों के आवेदन ऑनलाइन ही बीज निगम मुख्यालय को भेजती है। बीज निगम मुख्यालय ट्रैक्टर और अन्य सामानों की उपलब्धता के आधार पर पहले आओ, पहले पाओ का फार्मूला अपनाता है। चैम्स प्रणाली में किसानों को जबरिया कोई उत्पाद सप्लाई नहीं की जाती, उसकी पसंद के आधार पर ही उपकरण दिए जाते हैं। कंपनियों के उत्पादों की जानकारी किसानों को बीज निगम व चैम्स के पोर्टल के माध्यम से दी जाती है।

ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों की खरीदी के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया में किसानों की मदद के लिए भी व्यवस्था की गई है। किसान जिला कृषि कार्यालय, बीज निगम या लोक सेवा केंद्र से सहयोग ले सकते हैं। किसान के नाम पर ट्रैक्टर और अन्य कृषि यंत्रों की स्वीकृति के बाद कृषक अंश राशि जमा की जाती है। कृषक अंश राशि जमा होने के बाद बीज निगम कंपनियों के नाम ऑनलाइन आदेश जारी करता है। इसके बाद कंपनियां ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों की सप्लाई करती हैं। बीज निगम ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों की आपूर्ति का थर्ड पार्टी से पुष्टि भी करवाता है। ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों को लेकर किसानों की संतुष्टि के बाद ही बीज निगम निर्माता कंपनियों को कृषक अंश राशि का भुगतान करता है।

Related posts

CGPSC अभ्यर्थियों के लिए बड़ी खबर : कल से शुरू होने वाली इंटरव्यू प्रक्रिया की गई स्थगित, ये रही बड़ी वजह…

bbc_live

Gold-Silver Price Today : आज सुबह क्या है सोना-चांदी का रेट, जानें 22 कैरेट, 24 कैरेट, 18 कैरेट सोना का भाव

bbc_live

Petrol-Diesel Price Today: कार-बाइक की टंकी फुल कराने से पहले जान लें पेट्रोल और डीजल के ताजा रेट

bbc_live

अयोध्या:श्रद्धालुओं से मारपीट के बाद अवैध मान होटल सील अन्य होमस्टे और होटलों पर लटकी तलवार

bbc_live

Aaj Ka Rashifal: मेष समेत इन 6 राशि के जातकों पर आज रहेगी शनिदेव की कृपा, जानें अन्य का हाल!

bbc_live

कैदी और उसके परिवार को मौज कराना जेल प्रहरी को पड़ा भारी, दर्ज हुआ एफआईआर

bbc_live

Aaj Ka Panchang : आज 13 मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त, राहुकाल और पंचांग की जानकारी!

bbc_live

बीएनआई व्यापार एवं उद्योग मेला में तीसरे दिन हजारों के संख्या में पहुंचे शहरवासी छत्तीसगढ़ की विभूति को मिल नवरत्न सम्मान

bbc_live

IPL 2025 : BCCI का बड़ा फैसला, सभी 13 मैदानों पर होगी ओपनिंग सेरेमनी

bbc_live

Breaking : अब ईओडब्ल्यू ने सौम्या चौरसिया को किया गिरफ्तार, कोर्ट ने 10 दिनों के रिमांड पर भेजा

bbc_live

Leave a Comment