अब्दुल सलाम क़ादरी
मनेंद्रगढ़/छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ वनमंडल में वन विभाग ने कागजों पर हरियाली उगाकर करोड़ों रुपये साफ कर दिए। कैम्पा फंड, विशेष प्रजाति वृक्षारोपण और बांस बगान के नाम पर लगभग 19 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, मगर ज़मीन पर न तो पौधे दिखे और न ही कोई जिम्मेदार।
शिकायतकर्ता अब्दुल सलाम कोरासी ने इस भ्रष्टाचार का खुलासा कर पूरे दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन अब एक साल से ज्यादा हो गया, न जांच पूरी हुई, न कोई कार्यवाही हुई। ऐसा लग रहा है कि पूरी मशीनरी इस घोटाले को दबाने में लगी हुई है।
जांच अधिकारी बोले- “हमें शिकायत पत्र मिला ही नहीं”
वन विकास निगम रायपुर को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन जब जांच प्रगति की जानकारी मांगी गई, तो नियुक्त जांच अधिकारी ने स्पष्ट कहा कि उन्हें तो शिकायत पत्र ही प्राप्त नहीं हुआ। इससे साफ होता है कि या तो विभागीय पत्राचार में जानबूझकर देरी की जा रही है, या फिर शिकायत को दबाकर भ्रष्टाचारियों को बचाया जा रहा है।
अब अपील की सुनवाई 10 जून को होगी
इस पूरे मामले में अब अगला मोड़ 10 जून 2025 को आने वाला है, जब इस अपील की सुनवाई IFS अधिकारी मर्सिबेला द्वारा की जाएगी। लेकिन अगर वहां से भी कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आती, तो अब शिकायतकर्ता का कहना है कि हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना ही अंतिम विकल्प रह गया है, जहां “दूध का दूध और पानी का पानी” होगा।
क्यों उठ रहे हैं बड़े सवाल?
- एक साल से अधिक समय से जांच लंबित, आखिर क्यों?
- जांच अधिकारी को शिकायत पत्र ही नहीं मिला – यह लापरवाही है या साजिश?
- पंचायत, स्थानीय जनप्रतिनिधि और मजदूर – सब अनजान, तो किसने किया पौधारोपण?
- RTI में मजदूरों के खाते की जानकारी देने से इनकार – क्या यह फर्जी भुगतान की पुष्टि नहीं?
अब जनता पूछ रही है – अगर कैम्पा फंड भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगा, तो पर्यावरण बचेगा कैसे?
शिकायतकर्ता ने साफ संकेत दिए हैं कि अगर शासन और वन विभाग ने इस मामले में पारदर्शिता नहीं दिखाई, तो अब यह लड़ाई कोर्ट में लड़ी जाएगी – जहां हर फर्जी आंकड़े और हर खोदे गए गड्ढे का हिसाब मांगा जाएगा।