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September 8, 2024
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बिहार की राजनीति में ‘शाह’ और मात, अब अमित शाह के हाथ में नीतीश कुमार की किस्मत

नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदल कर भाजपा में प्रवेश कर सकते है। लेकिन फिलहाल भारतीय जनता पार्टी सार्वजनिक रूप से इन कयासों को लेकर अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।

राजधानी पटना में मचे इस राजनीतिक घमासान के बीच भाजपा आलाकमान ने बिहार भाजपा के नेताओं को बैठक के लिए दिल्ली बुलाया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर गुरुवार शाम को यह उच्चस्तरीय बैठक हुई। अमित शाह के आवास पर हुई इस बैठक में अमित शाह और जेपी नड्डा ने बिहार भाजपा के नेताओं के साथ लगभग पौने दो घंटे तक विचार मंथन किया।

एनडीए में शामिल हो सकते है नीतीश

नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने की अटकलें तो तभी से लगाई जा रही हैं जब उन्होंने पार्टी की कमान ललन सिंह से अपने हाथ में ले ली थी, कुछ समय के बाद अपनी टीम में बदलाव किया तो ललन सिंह को कोई जगह नहीं दी। भले ही जेडीयू नेता एनडीए में शामिल होने की अटकलों को खारिज करते रहे लेकिन जैसे ही कर्पूरी ठाकुर भारत रत्न देने का फैसला हुआ, उसके बाद इस चर्चा ने एकबार फिर तेजी पकड़ी है।

सियासी संकट के बीच लालू ने की फ़ोन पर बात

बिहार में मंडराए राजनीतिक संकट के बीच महागठबंधन के घटक दल आरजेडी के चीफ लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से फोन पर बात की। सूत्रों के मुताबिक, सीएम नीतीश एक-दो दिन में अंति फैसला ले सकते हैं। यानी एक-दो रोज के बाद ही पता चलेगा कि मौजूदा सरकार बरकरार रहेगी या फिर जेडीयू एनडीए में वापसी करेगी। इस बीच लालू यादव ने अपनी पार्टी के नेता शिवानंद तिवारी को नीतीश कुमार से बातचीत करने के लिए भेजा।

लालू ने भी बुन रखा है जाल

नीतीश कुमार को पाला बदलने के लिए जाना जाता है, उन्हें ऐसे ही पल्टूराम नहीं कहा जाता है। यह संज्ञा उन्हें उनके साथी लालू ने ही दी थी। आरजेडी को भी इस बात का पहले ही अंदाजा था की नितीश लोकसभा चुनाव से पहले पाला बदल सकते है, शायद इसीलिए आरजेडी ने गठबंधन के साथ ही नीतीश के खिलाफ जाल बुनना शुरू कर दिया था। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं अवध बिहारी चौधरी। गठबंधन के साथ ही लालू प्रसाद यादव ने बिहार विधानसभा स्पीकर का पद आरजेडी के लिए मांगा था। इसलिए ताकि अगर नीतीश कुमार अगर फिर पलटी मार गठबंधन से अलग होने की कोशिश करें तो कम से कम विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें चित किया जा सके।

लालू प्रसाद यादव ने कर रखी है पूरी तैयारी

नीतीश कुमार आरजेडी को कभी भी झटका दे सकते हैं, ऐसे में लालू प्रसाद यादव ने भी पलटवार की पूरी तैयारी कर ली है। विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी के साथ हाल ही में हुई लालू की बातचीत है। लालू प्रसाद के आवास पर कुछ दिन पहले ही अवध बिहारी चौधरी ने जाकर मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान कानून मंत्री शमीम अहमद भी मौजूद थे। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच चर्चा क्या हुई इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है। माना जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव और अवध बिहारी चौधरी के बीच इस मुलाकात की बड़ी वजह जदयू और आरजेडी के बीच पनपा तनाव ही था।

ये है बिहार का ताजा राजनीतिक समीकरण

बिहार में 243 सीटें हैं, ऐसे में यहां पर बहुमत के लिए 122 सीटें चाहिए। वर्तमान में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है, जिसके पास 79 विधानसभा सीटें हैं, इसके बाद भाजपा है जिसके पास 77 और तीसरे नंबर पर जनता दल यूनाइटेड है जिसके पास 45 सीटें हैं। कांग्रेस के पास 19, लेफ्ट के पास 12, एआईएमआईएम के पास 1 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के पास 4 सदस्य हैं। शेष निर्दलीय हैं। वर्तमान में आरजेडी और जेडीयू की संख्या मिलाकर की 124 हो जाती है. यदि जेडीयू गठबंधन से बाहर आती है और भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा करती है तो कुल सदस्यों की संख्या बहुमत का आंकड़ा छू लेगी अगर जेडीयू का कोई विधायक नहीं टूटा तो। माना जा रहा है कि यहीं स्पीकर अवध बिहारी आरजेडी के काम आ सकते हैं।

दरअसल, आरजेडी की 79, कांग्रेस की 19 और लेफ्ट की 12 सीटें मिलकर 110 हो जाती हैं, नीतीश के एनडीए के साथ जाने के बाद जीतनराम माझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी आरजेडी के साथ आकर इस आंकड़े को 114 तक पहुंचा देगी। एआईएमआईएम के 1 और निर्दलीय विधायकों का साथ मिला तो आरजेडी को नीतीश के बिना सरकार बनाने के लिए जेडीयू के कुछ ही विधायकों को तोड़ना होगा। अविश्वास प्रस्ताव का ऐलान होने के बाद स्पीकर इसमें काम आएंगे और फ्लोर टेस्ट में सत्ता नीतीश कुमार के हाथ से चली जाएगी।

प्रशांत किशोर ने कहा था, नितीश कुमार का पोलिटिकल करियर हुआ ख़त्म

2014 में पीएम मोदी की देश भर में लहर पैदा करने वाले प्रशांत किशोर ने कुछ दिनों पहले भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि, नितीश कुमार का राजनीतिक सफर का अब अंत होने वाला है। वह खुद तो डूब ही रहे हैं और वह जिस भी पार्टी में जाएंगे उसे भी डूबा देंगे। उन्होंने कहा था, नितीश जुगाड़ लगा कर मुख्यमंत्री बने हुए हैं। वह 2020 में चुनाव हार गए थे। 243 की विधानसभा में केवल 42 विधायक उनके साथ है। लेकिन कुछ न कुछ जुगाड़ करके वह सीएम बने हुए है।

अमित शाह एक बार फिर हुए एक्टिव

कहा जाता है कि अगर किसी मुद्दे को लेकर अमित शाह अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं तो उसका अंजाम तक पहुंचना तय माना जाता है। फिर चाहे 370 का मुद्दा हो या फिर तीन तलाक, हर बार जो कोई राजनितिक नेतृत्व नहीं कर पाया वो गृहमंत्री अमित शाह ने किया है। उन्हें राजनीति का चाणक्य ऐसे ही नहीं कहा जाता। बिहार में भी कहा जा रहा है की मिस्टर पल्टूराम(नीतीश कुमार) के नाम से प्रख्यात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक सफर का अगला और शायद अंतिम अध्याय अमित शाह ही लिखने वाले है।

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