सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित एक विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया और इसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की अनुशंसा की। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया।
उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त संसदीय समिति का गठन करें और विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए उसके (जेपीसी के) पास भेजें। विधेयक पर चर्चा के लिए अधिक से अधिक हितधारकों को बुलाएं, उनकी राय सुनें। इसे (विधेयक को) समिति को भेजें, और भविष्य में हम उनके (सदस्यों के) सुझावों को खुले दिल से सुनेंगे…।’’ इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’’
इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दो प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि, तेदेपा ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की।
विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए।’’ रीजीजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।
उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का उल्लेख किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया। करीब एक घंटे तक विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों का जवाब देने के बाद रीजीजू ने विधेयक को व्यापक विचार विमर्श के लिए जेपीसी के पास भेजने की सिफारिश की।