अलीगढ़। मुस्लिम बाहुल क्षेत्र सराय रहमान में बुधवार (18 दिसंबर 2024) को 50 साल से अधिक पुराना एक शिव मंदिर मिला है। यह मंदिर सालोंसे बंद पड़ा था। मुस्लिम बहुल इलाका होने के कारण इस तरफ किसी का ध्यान भी नहीं जाता था। लेकिन जब करणी सेना और बजरंग दल जैसे हिंदू संगठनों को इसकी जानकारी मिली तो वे इलाके में पहुँचे और इसे खोले जाने को लेकर हंगामा करने लगे।
पुलिस फोर्स ने मौके पर पहुँचकर लोगों को कराया शांत
बता दें कि, यह मंदिर बन्ना देवी थाना क्षेत्र के सराय रहमान इलाके में है। इसकी सूचना स्थानीय थाना को लगी तो पुलिस फोर्स मौके पर पहुँची और लोगों को शांत कराया। करणी सेना ने मंदिर को खोले जाने की माँग को लेकर प्रशासन को एक ज्ञापन भी सौंपा है। अखिल भारतीय करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि सालों से इस मंदिर पर कब्जा करके रखा गया था और यहाँ पूजा-अर्चना नहीं हो रही है।
पुलिस ने आश्वासन दिया कि मंदिर को सुरक्षा दी जाएगी और यहाँ पूजा पाठ को भी नहीं रोका जाएगा। करणी सेना का कहना है कि मंदिर के अंदर की मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। कई मूर्तियाँ तोड़ दी गई हैं। हिंदू संगठनों इसकी जाँच और मंदिर को सुरक्षा की माँग की। बन्नादेवी थाना के प्रभारी पंकज मिश्रा ने बताया कि मंदिर को खुलवा करके उसकी साफ-सफाई कराई गई है।
ज्ञानेंद्र सिंह चौहान ने आगे बताया कि करणी सेना ने महानगर में करीब 15 ऐसे मंदिरों को चिह्नित किया है, जिन पर मुस्लिम समुदाय का कब्जा है। उन्होंने कहा कि इन मंदिरों को जल्दी ही मुक्त कराया जाएगा। वहीं, अलीगढ़ एसपी सिटी मृगांक पाठक ने बताया कि मंदिर पर अवैध कब्जे की शिकायत मिली है। इस संबंध में जाँच कराई जाएगी और दोषियों पर कानून अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, मंदिर खुलवाने के दौरान घटनास्थल पर मौजूद रहे विश्व हिंदू परिषद के अलीगढ़ जिला प्रचार प्रमुख प्रतीक रघुवंशी ने कहा कि सम्भल के बाद अलीगढ़ के सराय रहमान स्थित मन्दिर को कब्जा मुक्त कराया गया है। उन्होंने कहा कि मन्दिर की मूर्तियों को पहले ही तोड़ दी गई थी और शिवलिंग को दबा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि हिंदू संगठन के लोगों को इस बारे में पता चला तो मन्दिर के पास से मलबा हटाया गया और वहाँ मन्दिर में शिवलिंग मिला है। रघुवंशी ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने मलबे को हटाकर मन्दिर की साफ-सफाई की गई। उन्होंने कहा कि मंदिर के बाहर ईंटों से भरे कट्टे रखे हुए थे। साफ-सफाई करने के बाद यहाँ विधिवत पूजा-पाठ कराया गया।
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र में पहले हिंदू परिवार भी रहा करते थे, लेकिन वे समय के साथ यहाँ से घर-बार बेचकर चले गए। इसके बाद इस मंदिर पर मुस्लिम समुदाय का कब्जा हो गया। लोगों का यह भी कहना है कि हिंदू समुदाय के लोग अपने साथ मूर्ति आदि लेकर भी चले गए थे।