रायपुर: छत्तीसगढ़ में दिवंगत अजीत जोगी की पार्टी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के कांग्रेस में विलय और पार्टी से निष्कासित नेताओं की वापसी को लेकर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेद गहरे होते जा रहे हैं। कुछ नेता विलय और वापसी के पक्षधर हैं, जबकि कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में अंतिम निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है।
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट ने निष्कासित नेताओं के आवेदन की जांच के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत, प्रदेश सहप्रभारी एसए संपत कुमार, जरिता लैतफलांग, विजय जांगिड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धनेन्द्र साहू और मोहन मरकाम शामिल हैं। हालांकि, प्रदेश के प्रमुख नेता भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव को इस समिति में शामिल नहीं किया गया है।
विलय पर आंतरिक विरोध
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विलय पर सबसे ज्यादा मतभेद हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव पहले ही इस विलय का विरोध कर चुके हैं। उनका कहना है कि जिन नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निष्कासित किया गया था, उन्हें फिर से पार्टी में शामिल करना अनुशासनहीनता को बढ़ावा देगा और पार्टी को नुकसान हो सकता है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने विधानसभा चुनाव-2023 में पाटन से चुनाव लड़ा था। हालाँकि, कुछ समय पहले मीडिया से बातचीत में डॉ. रेणु जोगी ने अमित के इस निर्णय को गलत ठहराया और कहा कि उस वक्त वह कोटा में अपने चुनाव में व्यस्त थीं। उन्होंने यह भी कहा कि वे जल्द ही भूपेश बघेल से मुलाकात करेंगी।
नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात के बाद अटकलें तेज
इस बीच, नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत से डॉ. रेणु जोगी और अमित जोगी की मुलाकात के बाद, उनकी पार्टी में वापसी की अटकलें और भी तेज हो गईं। रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में अमित जोगी ने कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा को समर्थन दिया था, जिससे इन अटकलों को और बल मिला। इंटरनेट मीडिया पर अमित जोगी ने एक पोस्ट डालते हुए आकाश शर्मा को समर्थन देने के लिए नेता प्रतिपक्ष डा. महंत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का आभार व्यक्त किया था।
आखिरी निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व का
सचिन पायलट द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति अब निष्कासित नेताओं के आवेदन की जांच करेगी, और उसके बाद अंतिम निर्णय कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है। इस प्रक्रिया के दौरान भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव की सहमति भी ली जा सकती है, ताकि पार्टी में किसी प्रकार का आंतरिक विवाद न हो।