राणा जंग बहादुर के खिलाफ जालंधर पुलिस ने 10 जून 2022 को एक टीवी शो के दौरान महर्षि वाल्मीकि के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में केस दर्ज किया था. उन्होंने 9 मार्च 2024 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295-ए और एससी-एसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज FIR कको हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. धारा 295-ए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित है.
महर्षि वाल्मीकि पर एक्टर ने दिया था बयान
राणा जंग बहादुर के बयान के बाद जालंधर में वाल्मीकि समुदाय के लोग भड़क गए थे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. अभिनेता पर प्रदर्शनकारी तीखे हमले बोल रहे थे. इस पर खूब सियासी हंगामा भी मचा था. को्ट ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के बदलने की कहानी, लोक कथाओं और शास्त्रों का हिस्सा है. शिकायतकर्ता को वही बात पसंद नहीं आ रही है.
महर्षि वाल्मीकि को बताया था डाकू
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा, ‘याचिकाकर्ता पर आरोप है कि महर्षि वाल्मीकि के जीवन के उदाहरणों का हवाला दिया है. याचिकाकर्ता पर जो आरोप लगाए हैं, उसमें कहा गया है कि उन्होंने महर्षि वाल्मीकि के शुरुआती जीवन को डाकू कहा है. कोर्ट इसकी सत्यता के बारे में बात नहीं कर रहा है.’
‘हर भगवान पैदाइशी इंसान थे…’
जस्टिस पंकज जैन की बेंच ने इस केस में दर्ज एक FIR और अन्य आपराधिक कार्यवाहियों को खारिज कर दिया. बेंच ने कहा, ‘चाहे कोई भी धर्म हो, भगवानों का जन्म इंसान के तौर पर हुआ है. समाज में उनके योगदान और चरित्र बल की वजह से उन्हें देवत्व पद मिला. उनसे प्रेरित होकर लोगों ने आस्था रखकर उनकी पूजा शुरू की. नर से नारायण तक की यात्रा न केवल भारत की लोक आस्था में घुली-मिली है, बल्कि भारत के बाहर पैदा हुए धर्मों के बारे में भी यह तथ्य सही है.’