हिंदू धर्म में करवा चौथ का खास महत्व होता है. इस दिन सुहागिन महिलाए अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. इसके साथ ही संध्या के समय चंद्रोदय के बाद ही चंद्रमा को देखकर अर्घ प्रदान करने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है. करवा चौथ का व्रत बेहद नियम के साथ किया जाता है. यह व्रत निष्फल भी हो सकता है. तो आईये जानते हैं. करवा चौथ का व्रत और किन नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है?
करवा चौथ हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन भद्रा भी लग रहा है. लेकिन सुबह 6 बजकर 46मिनट मे समाप्त हो जा रहा है. जिस वजह से भद्रा का प्रभाव नही पड़ेगा. वही करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान गणेश और माता करवा की पूजा आराधना करती है. इसके साथ ही इस दिन चंद्रमा को अर्घ देने से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं.
कब से शुरू हो रहा चतुर्थी तिथि
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर सुबह 6बजकर 12मिनट से होने जा रहा है. समापन अगले दिन 21 अक्टूबर सुबह 05बजकर 23 मिनट मे हो रहा है. उदयातिथि के अनुसार 20 अक्टूबर को ही करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा जाएगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ रोहिणी नक्षत्र भी रहने वाला है. इससे चतुर्थी तिथि का महत्व और भी खास हो जाता है.
कब होगा चंद्रदय
कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि में करवा चौथ का निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन चंद्रमा को अर्क देने के बाद ही व्रत को तोड़ा जाता है.इस दिन चंद्रमा रात्रि 8बजकर 15मिनट में उदय होने जा रहा है. इस दिन रात्रि 8 बजकर 15मिनट के बाद से चंद्रमां को अर्घ देने के बाद व्रत तोड़ सकते है.