नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में बीतें गुरूवार को चुनाव की प्रक्रिया को सरलता प्रदान करने के उद्देश्य से “वन नेशन-वन इलेक्शन” के प्रस्ताव पर मोदी केबिनेट ने मंजूरी जताई। बता दें कि, इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य देश में होने वाले चुनावी प्रक्रिया को सरलता प्रदान करना और चुनाव में होने खर्च में कमी लाना है।
वही अब मोदी केबिनेट द्वारा जारी इस प्रस्ताव की मंजूरी पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आपत्ति जताई है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि, एक देश एक चनाव कराना भाजपा की नहीं बल्कि देश के संस्थापकों की सोच थी। उन्होंने कहा कि, तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी एक देश एक चुनाव का समर्थन किया था। उनका भी मानना है कि, इस योजना को या तो आम सहमति से या पूर्ण बहुमत वाली सरकार द्वारा क्रियान्वित किया जा सकता है।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा है कि, चुनावों की श्रृंखला एक निर्वाचित सरकार को अपने चुनावी वादों और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लगभग साढ़े तीन साल का समय देती है। एक साथ चुनाव कराने से सरकारों को शासन के लिए अधिक समय मिलेगा। समिति में विपक्ष के सदस्य को लेकर कोविंद ने कहा कि, पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी समिति का सदस्य बनने के इच्छुक थे और चाहते थे कि, सरकार उन्हें नियुक्ति पत्र भेजे। चौधरी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की और समिति से हटने का फैसला किया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि,‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर परामर्श प्रक्रिया के दौरान 32 राजनीतिक दलों ने इस विचार का समर्थन किया। जबकि 15 ने इसका विरोध किया। मेरा मानना है कि, जब हम लोकतंत्र में हैं, तो बहुमत का पक्ष लागू होना चाहिए। ये 32 दल जो इसके पक्ष में हैं, उनके विचारों को देश को स्वीकार करना चाहिए। अन्य को अपने विचार बदलने चाहिए। जो 15 दल इससे सहमत नहीं हैं, उन्हें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी। समिति ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों वाली अपनी रिपोर्ट सौंपी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, एक साथ चुनाव की सिफारिशें को दो चरणों में कार्यान्वित किया जाएगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किए जाएंगे। दूसरे चरण में आम चुनावों के 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव (पंचायत और नगर पालिका) किए जाएंगे।